भोपाल: आपने सांप सीढ़ी तो खेली ही होगी. अब इस खेल में पहले सांप को बाहर निकाल लीजिए और फिर सीढ़ी खेलिए. चढ़ती सीढ़ी और उतरती सीढ़ी. खास बात ये है कि सीढ़ी का ये खेल केवल जीत हार के लिए नहीं होता. इस खेल में एक-एक खाने पर पहुंचते ही आप सीखते जाते हैं. वो संवैधानिक मूल्य जो आपके जीवन में बने हुए थे, लेकिन आपने कभी गौर नहीं किया. इसे खेलते हुए आपकी धारणाएं टूटती हैं. खेल-खेल में हर खाना जो सवाल आपके सामने लाता है, आप खुद आईने में खड़े हो जाते हैं.
एक से शुरु हुई इस सीढ़ी की यात्रा में सीढ़ी चढ़ते और उतरते आप संविधान की आत्मा उसकी प्रस्तावना के एक-एक शब्द को विस्तार से जान चुके होते हैं. यहां तक आ जाने के बाद अब आपका ये प्रश्न लाजिमी है कि ये सीढी क्या है. तो मध्य प्रदेश में संविधान को आम जन तक पहुंचाने के मकसद से संस्था विकास संवाद ने चढ़ती उतरती सीढ़ी के इस खेल को तैयार किया है. खास बात ये है कि इस खेल से सांप को शामिल नहीं किया गया. वजह ये है कि सांप हमेशा काटता ही है ये धारणा को तोड़ना था. धारणाएं जो आमतौर पर संवैधानिक मूल्यों के संप्रेषण में बाधा का काम करती हैं.
क्या है ये संविधान मूल्यों की चढ़ती उतरती सीढ़ी
संवैधानिक मूल्यों पर काम कर रही संस्था विकास संवाद ने ये जो संवैधानिक मूल्यों के लिए चढ़ती उतरती सीढ़ी तैयार की है. इसमें आम सांप सीढ़ी के खेल की तरह ही सौ खाने हैं, लेकिन इस खेल में हर खाने की कहानी अलग है. बाकी इस खेल को खेलने का तरीका भी अलग है. नीचे से ऊपर पहुंचने की वजह भी अलग है. विकास संवाद के एसोसिएट डायरेक्टर राकेश मालवीयबताते हैं , 'मिसाल के तौर पर सीढ़ी खेल के चौथे नंबर के खाने को देखिए जिसमें कहा गया है कि मानवीय गरिमा का हनन अब खेलने के दौरान अगर आपकी गोटी चार नंबर पर इस खाने में आती है, तो आपको मानवीय गरिमा से जुड़ा हुआ कोई वाक्य बनाना होगा.