दिल्ली एम्स हुआ पक्का! किसान के बेटे ने NEET एक्जाम में किया कमाल, 715 अंकों के साथ टॉप 10 में बनाई जगह - Bhopal Vinay Tiwari NEET Topper - BHOPAL VINAY TIWARI NEET TOPPER
शुक्रवार को एनटीए द्वारा जारी नीट के संशोधित रिजल्ट में भोपाल के विनय कुमार ऑल इंडिया रैंक 96 लाकर कमाल कर दिया. अगर वो चाहें तो दिल्ली एम्स में आसानी से एडमिशन मिल सकता है.
भोपाल के विनय तिवारी ने ऑल इंडिया रैंक- 96 लाकर किया कमाल (ETV Bharat)
भोपाल:बैरसिया तहसील के विनय तिवारी ने नीट-यूजी 2024 की परीक्षा में कमाल कर दिया. शुक्रवार को जारी नीट के संशोधित रिजल्ट में विनय के 720 में से 715 नंबर आए हैं. 180 सवालों में से केवल एक सवाल का जबाव गलत है. उसने अपने पहले ही प्रयास में जबरदस्त सफलता प्राप्त करते हुए ऑल इंडिया रैंक- 96 लाई. अगर अब वह देश की राजधानी में स्थित दिल्ली एम्स मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करना चाहे तो कर सकते हैं. विनय के पिता गांव में रहकर किसानी करते हैं.
पिता करते हैं बैरसिया में खेती
बैरसिया तहसील के रोंडिया गांव के विनय तिवारी ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी में परीक्षा दी थी. उनकी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में 10वीं रैंक है. जबकि ऑल इंडिया रैंक 96 है. जोकि पहले जारी रिजल्ट के 196 रैंक के पूरे 100 रैंक कम है. विनय के पिता गांव में ही खेती किसानी का काम करते हैं. उनकी मां गृहणी हैं. गांव और आसपास कोई बढ़िया स्कूल नहीं होने के कारण वो अपने मामा के पास विदिशा में रहकर पढ़ाई कर रहे थे.
केवल एक सवाल का दिया गलत जबाव
नीट-यूजी की परीक्षा में 180 प्रश्न पूछे गए थे. जिसमें से विनय ने केवल एक सवाल का गलत जबाव दिया. ऐसे में 4 नंबर उत्तर गलत देने और एक नंबर माइनस मार्किंग के कट गए. विनय ने बताया कि, '4 जून को एनटीए द्वारा जारी किए रिजल्ट में उनकी रैकिंग 201 थी. जिसे बाद में सुधार कर 196 कर दिया गया. अब उन्हें एम्स दिल्ली जैसे मेडिकल कालेजों में आसानी से दाखिला मिल जाएगा.'फाइनल रिजल्ट आने के बाद रैंक उनकी 96 हो गई.आपको बता दें कि नीट का पहली बार रिजल्ट 4 जून को आया था. परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद एनटीए ने 23 जून को कुछ केन्द्रों की दोबारा परीक्षा करवाई थी जिसका रिजल्ट 30 जून को जारी किया गया था. 26 जुलाई को अंतिम तौर पर संशोधित रिजल्ट आया है.
विनय तिवारी ने बताया कि, उनकी शुरुआती पढ़ाई ग्रामीण परिवेश में हुई, इसलिए गांवों से उनका खासा लगाव है. कक्षा 10 में जब वो 96.6 प्रतिशत अंकों से पास हुए थे तो उनकी लगन को देखते हुए माता-पिता ने उनका एडमिशन इंदौर के एक कोचिंग संस्थान में करा दिया था. विनय ने बताया कि, उनके गांव में कोई डाक्टर नहीं था. ऐसे में लोगों को इलाज नहीं मिल पाता था. इसीलिए उन्होंने डाक्टर बनने का सोचा था. हालांकि अब उनका कहना है कि एमबीबीएस के बाद वो यूपीएससी की तैयारी करेंगे. जिससे कि वो आईएएस बनकर ग्रामीण बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कर सकें.