भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने चालू वित्त वर्ष का आखिरी कर्ज लेने की तैयारी कर ली है. सरकार ने 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को विलिंग्नेस लेटर भेजा है. चालू वित्त वर्ष में सरकार अधिकतम 47 हजार 560 करोड़ रुपए का कर्ज ले सकती है. इससे पूर्व एमपी सरकार चालू वित्त वर्ष के 10 महीने मई 2023 से फरवरी तक 42 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है. अब सरकार ने बचे हुए पांच हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए आरबीआई (RESERVE BANK OF INDIA) को पत्र भेजा गया है. अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो जाएगा.
इतनी बार कर्ज ले चुकी है मोहन सरकार
सत्ता में आने के बाद नई सरकार ने 2000 करोड़ रुपए का पहला कर्ज 20 दिसंबर को लिया था. इसके बाद सरकार ने 18 जनवरी को 2500 करोड़ रुपए 6 फरवरी को 3000 करोड़ रुपए और 20 फरवरी को 5000 करोड़ और 27 फरवरी को 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. वित्त विभाग के अधिकारियों के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है. जबकि खर्च इससे 550 हजार करोड़ से ज्यादा है. सरकार की ओर से चुनाव से पहले किए गए ऐलान पर बड़ी राशि खर्च होने के चलते सरकार का हर महीने का खर्च 10 प्रतिशत बढ़ गया है. सरकार का प्रति माह 20 हजार करोड़ का खर्च था. जो जून 2023 के बाद से बढ़कर 22 हजार करोड़ प्रति माह के पार पहुंच गया है.
कांग्रेस बोली- कर्ज लेकर पी रहे घी
वहीं मोहन सरकार के कर्ज लेने के सवाल पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा का कहना है कि 'राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर सरकार की लोन लेने की सीमा निर्धारित की गई है. उसी के दायरे में सरकार लोन ले रही है.' जबकि कांग्रेस का कहना है कि 'बीजेपी सरकार को आम आदमी से कोई लेना देना नहीं है. सिर्फ इनके ऐशो आराम में कमी नहीं आना चाहिए. कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा का कहना है कि पूर्व सीएम शिवराज ने भी अपनी ब्रांडिंग में करोड़ों रुपए खर्च किए जो की जनता का पैसा था. अब मोहन सरकार को भी खुद की ब्रांडिंग की चिंता है, जनता की नहीं. ये भी कर्ज लेकर घी पी रहे हैं और इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा. इन्हें तो सिर्फ ऐशो आराम से मतलब है.'