जबलपुर: पर्यावरण प्रदूषण में सबसे बड़ी समस्या पॉलिथीन बैग्स की है, लेकिन पॉलिथीन बैग का एक अच्छा विकल्प सामने आया है. यह सामान्य पॉलिथीन बैग से महंगा है. यदि सरकार इसकी प्रोडक्शन कॉस्ट को कम करने में मदद करें, तो पॉलिथीन बैग्स पूरी तरह खत्म किया जा सकता हैं. हालांकि, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने स्तर पर लोगों को इन बैग्स को इस्तेमाल करने की सलाह दे रहा है.
मकई के बैग से नहीं होता प्रदूषण
सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी प्लास्टिक का इस्तेमाल घट नहीं रहा है. जबकि सरकार ने प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल पर जुर्माना भी लगाया है. इसके बाद भी प्लास्टिक बैग बाजार में आसानी से उपलब्ध है. जबलपुर मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने स्तर पर कुछ बैग्स उपलब्ध करवा रहा है. जिनके बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का दावा है कि यह बैग्स मकई के स्टार्च से बनाए गए हैं और इनमें प्लास्टिक बैग जितनी ही क्षमता है. वहीं इन बैग को यदि पानी में डाला जाता है, तो यह बैग पानी में पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे और मक्के का स्टार्च पानी में घुलकर मछलियों के भोजन का काम करेगा.
मकई के बैग प्लास्टिक के बैग मंहगे
जबलपुर के कुछ युवाओं ने मिलकर इन बैग्स को बनाने का कारखाना भी लगाया है. वह इन बैग्स को बाजार में बेच भी रहे हैं, लेकिन अभी भी बाजार में प्लास्टिक बैग आसानी से उपलब्ध हैं और इनका इस्तेमाल भी बंद नहीं हो पा रहा है. जिसकी वजह से मकई के बैगों की मांग ज्यादा नहीं हो रही है. वहीं मांग कम होने का दूसरा कारण मकई के बैगों का थोड़ा महंगा भी होना है.
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बैन के बावजूद बाजारों में मिल रही पॉलिथीन
भारत में पर्यावरण एक्ट के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक का निर्माण करने पर या उसकी जरूरत से ज्यादा स्टॉक पाए जाने पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. वहीं नए नियमों के अनुसार 120 माइक्रोन से कम की प्लास्टिक का इस्तेमाल पूरी तरह बैन कर दिया गया है. इसके बावजूद यह प्रतिबंधित पॉलिथीन बैग बाजार में आसानी से मिल जाते हैं.