भोपाल। मध्य प्रदेश में अलग-अलग घटनाओं को लेकर मानव अधिकार आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब-तलब किया है. दरअसल, आचार संहिता के चलते कई मामलों में कार्रवाई को लेकर देरी हो रही है. इसके चलते मानव अधिकार आयोग खुद संज्ञान लेकर जिम्मेदार अधिकारियों से घटना के बारे में जानकारी मांग रहा है और यह जानकारी अधिकारियों को समय सीमा के अंतर्गत देना है. समय सीमा का ध्यान रखते हुए अधिकारियों को जिम्मेदारी से जवाब मानवाधिकार आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना है.
मोबाइल टॉर्च की रोशनी में ऑपरेशन
रायसेन जिले के शासकीय अस्पताल में रात को लाइट गोल हो जाने के बाद मोबाइल की रोशनी में एक प्रसूता महिला और शिशु का इलाज किया गया. वहीं शाम होते ही यहां जिम्मेदार डाॅक्टर और अधिकारी चले जाते हैं और शाम के समय अस्पताल में डाॅक्टरों के अभाव में मरीजों का इलाज नर्स करती हैं. अस्पताल के एक कर्मचारी का कहना है कि अस्पताल में जनरेटर तो है, लेकिन बीएमओ भोपाल में हैं और कोई जिम्मेदार अस्पताल में मौजूद नहीं है. मामले को संज्ञान में लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने सीएमएचओ रायसेन से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तीन सप्ताह में मांगी है.
ग्वालियर में एसी नहीं होने से मरीज परेशान
ग्वालियर जिले के जेएएच अस्पताल के बर्न व प्लास्टिक सर्जरी यूनिट में एसी नहीं होने के कारण यहां मरीजों को गर्मी में इलाज कराना पड़ रहा है. मामले में संज्ञान लेकर मानव अधिकार आयोग ने कमिश्नर ग्वालियर संभाग, ग्वालियर एवं क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ग्वालियर से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है.
शहडोल में दलित के साथ मारपीट का मामला
शहडोल जिले के ब्यौहारी थाना क्षेत्र के ग्राम साखी में एक दलित युवक द्वारा फोन पर बात करते समय जय भीम और नमो बुद्धाय कहने पर दबंगों ने उसके साथ मारपीट कर दी. जिससे पीड़ित युवक के चेहरे, गर्दन और माथे पर चोटे आई है. घटना के बाद पीड़ित युवक ने पुलिस थाने में दबंगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने पुलिस अधीक्षक शहडोल से मामले की जांच कराकर की गई कार्रवाई पर जवाब मांगा है.
अलीराजपुर में तालाब में डूबने से दो बहनों की मौत