भोपाल:इतिहास में पहली बार मध्य प्रदेश सरकार जन्माष्टमी के अवसर पर स्कूल खोलने जा रही है. इसके लिए प्रदेश के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को आदेश जारी किया गया है. डीपीआई के अपर संचालक रवींद्र कुमार सिंह द्वारा जारी पत्र में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों से 26 अगस्त को स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने को कहा है. हालांकि इस मामले को लेकर कांग्रेस के साथ शिक्षण संगठन भी विरोध कर रहा है. इसको लेकर दोनों के अपने अलग-अलग तर्क हैं.
भारतीय परंपरा और योग पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन
जिला शिक्षा अधिकारियों के लिए जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि 'सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में 7 अगस्त 2024 को आयोजित समीक्षा बैठक में प्रदेश के सभी स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने का निर्णय लिया गया है. इस दौरान स्कूलों में श्रीकृष्ण की शिक्षा एवं मित्रता के प्रसंग व जीवन दर्शन पर आधारित कार्यक्रमों, कहानियों और व्याख्यान का आयोजन किया जाएगा. भारतीय विशिष्ट परंपरा और योग पर आधारित कार्यक्रम होंगे. इस आदेश के तहत सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में बच्चों और शिक्षकों की उपस्थिति अनिवार्य है.'
शिक्षक संगठनों का विरोध, आदेश में विरोधाभास
इस मामले में शासकीय शिक्षक संघ के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र कौशलका कहना है कि 'आमतौर पर जन्माष्टमी के अवसर पर स्कूलों की छुट्टी होती है. इससे पहले सरकार ने भी जन्माष्टमी के अवसर पर सभी शासकीय कार्यालयों, बैंकों और स्कूलों में अवकाश घोषित किया था. अब दूसरा आदेश स्कूल खोलने का जारी किया गया है. अब हमारे सामने दो आदेश हैं, हम इसमें किसका पालन करें.'
जन्माष्टमी मनाने के सरकारी आदेश पर कांग्रेस की आपत्ति
सरकार के फैसले पर कांग्रेस ने ऐतराज जताते हुए कहा कि 'शिक्षण संस्थान शिक्षा का केंद्र है. इसे केवल शिक्षा के लिए ही रहने देना चाहिए. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि 'उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि प्रदेश सरकार शैक्षणिक संस्थानों को बर्बाद करने के पीछे क्यों लगी हुई है. धार्मिक कार्यक्रम के दिन स्कूल कॉलेजों में छुट्टी होती है और सभी धर्म के लोग इस दिन को अपने तरीके से मनाते हैं. एक तरफ आप शिक्षण संस्थानों में जन्माष्टमी को अनिवार्य बताते हैं और दूसरे तरफ हमारे मदरसों पर सवाल उठाते हैं.'