भोपाल:पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में जिला कोर्ट ने निर्णय सुना दिया है. इसमें कानून के रखवालों का कानून के साथ खिलवाड़ करने का दोषी पाया गया है. मामला साल 2015 का है जहां एक मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति की पुलिस कस्टडी में मौत हो गई थी. इस मामले में भोपाल जिला कोर्ट ने शुक्रवार को निर्णय सुनाते हुए थाना प्रभारी, उपनिरीक्षक, दो सहायक उप निरीक्षक जेलर, डॉक्टर सहित सभी को दोषी पाया है. कोर्ट ने सभी पर आपराधिक मामला दर्ज करने के निर्देश दिए हैं.
पुलिस कस्टडी में हुई थी मौत
ग्वालियर के जेएएच अस्पताल में 23 जून 2015 को भोपाल के टीलाजमालपुरा निवासी जेल बंदी मोहसिन की मौत हो गई थी. मोहसिन के परिजनों का आरोप था कि मोहसिन को 3 जून 2015 को क्राइम ब्रांच के सिपाही अहसान, मुरली, दिनेश खजूरिया और चिरोंजी पूछताछ के लिए ले गए थे. परिजनों ने ये भी आरोप लगाया था कि जब परिजन मोहसिन को छुड़वाने के लिए क्राइम ब्रांच थाने पहुंचे तो उनसे दो लाख रूपये की रिश्वत मांगी गई. क्राइम ब्रांच के बाद पुलिस ने मोहसिन पर टीटी नगर थाने में लूट का झूठा अपराध कायम कर उसे अदालत में पेश कर जेल भिजवा दिया.
ग्वालियर जेल किया था ट्रांसफर
जेल में भी जेलर पर मोहसिन से मारपीट करने का आरोप था. जानकारी के मुताबिक मोहसिन की हालत बिगड़ने के बावजूद उसे 18 जून 2015 को ग्वालियर जेल ट्रांसफर कर दिया. मोहसिन की यहां 23 जून 2015 को मौत हो गई. न्यायिक हिरासत में मोहसिन की मौत की न्यायिक जांच में भी पुलिस और जेल अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध बताई गई थी. परिजनों ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए एक थाना प्रभारी, उपनिरीक्षक, 2 सहायक उप निरीक्षक सहित जेलर और डॉक्टर के खिलाफ कोर्ट ने हत्या के साक्ष्य मिटाने का प्रकरण दर्ज किया कर लिया है.