भोपाल। राजधानी में कई कॉलोनियों के कूड़ाघरों की रंगत अब बदल चुकी है. यहां लोग मजे से खड़े होकर अब सेल्फी लेते दिखाई देते हैं. आलम यह था कि कुछ समय पहले यहां से निकलते वक्त दुर्गंध से बचने के लिए नाक पर रुमाल रखकर निकलते थे. राजधानी के युवा समाजसेवी अखलाक अहमद ने इन कूड़ाघरों की तस्वीर ही बदल दी. दरअसल अखलाक अहमद गली-मोहल्लों के कूड़ाघरों को खत्म करने का काम कर रहे है. इसके लिए आसपास के लोगों को कचरा बाहर फेंकने के लिए मना तो करते ही हैं, साथ ही कबाड़ से निकलने वाले समानों का उपयोग कर इन कूड़ाघरों को सुंदर बनाने का काम भी कर रहे हैं.
60 से ज्यादा कूड़ाघर बने सेल्फी पॉइंट
स्वच्छता कोई काम नहीं बल्कि आदत है. बिना आदत बदले घर, शहर और देश को स्वच्छ रखना मुश्किल है. इसी उद्देश्य से अखलाक अहमद साल 2013 से स्वच्छता मिशन से जुड़ गए और अब शहर के साथ आसपास के जिलों में लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रहे हैं. कॉलोनियों में जहां भी कचराघर दिखता है, वेस्ट मटेरियल से उसे पार्क का स्वरुप दे देते हैं. अखलाक अब तक ऐसे 60 से अधिक कूड़ाघरों को खत्म कर वहां सेल्फी पॉइंट बना चुके हैं.
कॉलोनियों के पार्कों को भी दे रहे जीवनदान
अखलाक अहमद कूड़ाघरों को समाप्त करने के साथ ही कॉलोनियों के उजड़े पार्कों को नया जीवनदान दे रहे हैं. जिन पार्कों में पहले गंदगी की वजह से लोग जाना पसंद नहीं करते थे अब इन पार्कों में सुबह-शाम कॉलोनियों के लोग घूमने जाते हैं. ऐसे पार्कों में अखलाक की टीम पहुंचकर उनकी ना केवल सफाई करती है बल्कि उन्हें हरा-भरा भी कर रहे हैं.
कबाड़ के जुगाड़ से पार्कों की बदल रहे रंगत
सबसे खास बात यह है कि कूड़ाघर और पार्कों को सुंदर बनाने के लिए अखलाक किसी नए आइटम का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि स्कूल, कॉलेज, फैक्ट्रियों और घरों से निकलने वाले कचरे से ही इनमें आकर्षक कलाकृतियां बनाई जा रही हैं. इसके लिए पुराने टायर, कबाड़ पड़ी साइकिलें, प्लास्टिक के पाइप, पुरानी कुर्सियों, मटके और पत्थरों का उपयोग किया जाता है.