भोपाल। जटिल बीमारियों के इलाज में एम्स भोपाल नित नए कीर्तिमान रच रहा है. यहां नवजात बच्चों से लेकर बुजुर्गाें तक को गंभीर बीमारियों से निजात मिल रही है. ताजा मामला ह्रदय रोग से संबंधित है जिसमें जन्मजात ह्रदय रोग से पीड़ित तीन बच्चों के लिए एम्स के डॉक्टर भगवान बन गए और उनको एक बार फिर से जीवनदान दिया. हालांकि इसके लिए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह और उनकी टीम को काफी मेहनत करनी पड़ी.
दो माह के बच्ची की जुड़ी थी धमनियां
सबसे पहले दो माह की बच्ची का आपरेशन डॉक्टरों ने किया. यह बच्ची जन्मजात ह्रदय रोग से पीड़ित थी. इसके ह्रदय की दोनों धमनियां जुड़ी हुई थीं. कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह ने इकोकार्डियोग्राफी की मदद से कमर की एक नस के माध्यम से नीतिनोल डिवाइस के द्वारा बिना सर्जरी के इस चैनल को बंद किया. इस प्रक्रिया के बाद बच्ची मां का दूध भी पीने लगी और हार्ट फेलियर के लक्षण भी कम होने लगे. केवल तीन दिनों के बाद ही उसे अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई.
हार्ट फेल होने की बन चुकी थी स्थिति
डाक्टरों ने बताया कि पेटेंट डक्टस आर्टेरियोसस (पीडीए) हृदय की जन्मजात खराबी है, जो कि तब होती है जब जन्म के समय भ्रूण की पल्मोनरी धमनी और एओर्टा के बीच का सामान्य चैनल बंद नहीं होता. दो माह की बच्ची का हार्ट फेल होने की स्थिति में भी पहुंच चुका था. ऐसे में ऑपरेशन करना लगभग नामुमकिन था, क्योंकि बच्ची की जान भी जा सकती थी. लेकिन हमने बच्ची के परिजनों को भरोसे में लेकर यह रिस्क लिया और सफल भी हुए.