अलवर. हाल ही में हाथरस में भोले बाबा उर्फ नारायण हरि उर्फ सूरजपाल के कार्यक्रम में मची भगदड़ में 120 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद से भोले बाबा फरार है. हालांकि हाल ही उन्होंने घटना को लेकर बयान भी जारी किया था. लेकिन इस बीच कई सवाल भोले बाबा पर भी उठ रहे हैं. राजस्थान के अलवर में भी भोले बाबा का आश्रम है. जिले के खेरली गांव के पास सहजपुर में भोले बाबा का आश्रम है, जहां बड़ी संख्या में बाबा के अनुयायी पहुंचते हैं. आश्रम के सेवादारों ने बताया कि कोरोना काल के दौरान बाबा इस आश्रम में ठहरे थे.
हाथरस की घटना के साक्षी अलवर जिले के लोग भी बने थे. सहजपुर से हाथरस पहुंचे प्रत्यक्ष दर्शियों ने घटना के संबंध में बात की. घटना स्थल पर मौजूद रही सहजपुर निवासी लक्खो देवी ने बताया कि धार्मिक आयोजन को लेकर जो बातें सुनाई दे रही है, दरअसल, वहां ऐसा कुछ नहीं हुआ था. प्रभु वाणी के समापन के बाद पांडाल से चले गए. उसके करीब आधे घंटे बाद पांडाल से संगत निकलती रही. पांडाल के बाहर वाहनों का जाम लगा हुआ था. पांडाल में संगतों की संख्या भी खूब थी. गर्मी और भीड़ ज्यादा होने से लोगों को घबराहट होने लगी, इससे वहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग पांडाल के सामने खेत से जाने लगे लेकिन सड़क ऊंची और खेत नीचे होने से लोग उसमें गिरते चले गए. खेत में कीचड़ और चिकनी मिट्टी होने से लोग उसमें धंसते चले गए.
लक्खो देवी ने बताया कि वह भी कीचड़ में धंसती जा रही थी, लेकिन उसकी बेटी ने खींचकर उन्हें बाहर निकाल लिया, जिससे उसकी जान बच गई. प्रवचन के बाद भोले बाबा की रज लेने की बात झूठी है. यह सब भोले बाबा को फंसाने की साजिश के तहत किया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि लोग पांडाल से निकलते समय खेत में घंस गए, जिससे यह घटना हुई.