भांवर गणेश की दुर्लभ प्रतिमा फिर चोरी, पांचवीं बार मंदिर से बेशकीमती मूर्ति ले उड़े चोर - बेशकीमती
Bhanwar Ganesh Idol Stolen बिलासपुर के मस्तूरी थाना क्षेत्र में बेशकीमती भांवर गणेश की मूर्ति एक बार फिर चोरी हो गई. एक बार फिर सुरक्षा में कमी के कारण मूर्ति को चोरों ने पार कर दिया.
बिलासपुर :मस्तूरी थाना क्षेत्र के ईटवा पाली गांव में भांवर गणेश की बेशकीमती मूर्ति चोरी होने की खबर है. ये मूर्ति 10वीं-11वीं शताब्दी की बताई जाती है.जिसकी कीमत बाजार में करोड़ों की है. इसके बावजूद मूर्ति की सुरक्षा को लेकर कोई विशेष कदम जिला प्रशासन ने नहीं उठाए.जिसका नतीजा ये हुआ कि एक बार फिर मूर्ति चोरों के हाथ लग गई.ये पहली बार नहीं है जब इस मूर्ति को चोरी किया गया हो.इसके पहले भी बड़ी मुश्किल से मूर्ति की बरामदगी पुलिस ने की थी. लेकिन अबकी बार चोरों ने जिस तरह से मूर्ति चोरी की है.उसे देखने के बाद इसे बरामद करना आसान काम नहीं होगा.
पांचवीं बार मूर्ति मंदिर से चोरी :आपको बता दें कि पांचवीं बार ऐतिहासिक मंदिर की मूर्ति चोरी हुई है. ग्रामीणों के अनुसार सुबह-सुबह जब मंदिर का दरवाजा खोलने गए तो पता चला कि मंदिर का ताला टूटा है. गर्भ गृह में मूर्ति नहीं है.जिसकी सूचना तत्काल मस्तूरी पुलिस को दी गई.इससे पहले चार बार मूर्ति की चोरी हो चुकी है.
चार बार मूर्ति बेचने में असफल हुए चोर :पहली बार 2004 में प्रतिमा की चोरी हुई. लेकिन चोर जिले से बाहर जा नहीं पाया था. इसके बाद अप्रैल 2006 में मूर्ति की चोरी हुई. 2007 में भी मंदिर से मूर्ति चोरी की कोशिश हुई थी. 26 अगस्त 2022 को मंदिर में चोरी हुई थी.जिसके बाद सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे किए गए थे. लेकिन आज तक शासन प्रशासन की ओर से सुरक्षा को लेकर कोई इंतजाम नहीं किए गए.
''चोरों ने भंवर गणेश की मूर्ति चोरी की है.जिसकी सूचना ग्रामीणों ने पुलिस को दी है. मामला दर्ज कर आरोपियों की पतासाजी की जा रही है.''- रविन्द्र अंनत, थाना प्रभारी, मस्तूरी
क्या है मूर्ति की खासियत ? :क्षेत्र के इटवा पाली के भांवर गणेश की मूर्ति ग्रेनाइट की दुर्लभ मूर्ति है. जो मल्हार स्थित डिडनेश्वरी देवी की समकालीन है.सातवीं से दसवीं सदी के बीच के विकसित मल्हार की मूर्तिकलाओं में भांवर गणेश को प्रमुख माना जाता है. मल्हार में बौद्ध स्मारकों और प्रतिमाओं का निर्माण इसी काल में हुआ था. मल्हार और आसपास में कई प्राचीन मंदिरों के अवशेष यहां मिलते हैं. इस मूर्ति की ऊंचाई तीन फीट और वजन करीब 65 किलो है.