जैसलमेर: सरहदी जिले में दर्जनों देवी मंदिर है. इनमें से कई ऐसे प्रसिद्ध मंदिर है, जिनकी ख्याति देश के कोने-कोने तक है तथा वर्षपर्यन्त हजारों श्रद्धालु आते हैं. इन्हीं में से एक है रेतीले धोरों के बीच स्थित लाठी क्षेत्र का भादरिया राय माता मंदिर. यह लाठी कस्बे से करीब 16, पोकरण से करीब 50 और जैसलमेर से 80 किमी दूर है.
सात बहिनों के स्वरूप की होती है पूजा:मंदिर के पुजारी नंद किशोर शर्मा ने बताया कि शक्ति व भक्ति के केन्द्र भादरिया राय माता मंदिर का इतिहास वर्षों पुराना है. यहां माता की सात बहिनों के स्वरूप की पूजा की जाती है.धार्मिक मान्यताओं के चलते पूरे वर्ष यहां श्रद्धालुओं की आवक जारी रहती है. विशेष रूप से नवरात्र के दौरान यहां मेले का आयोजन किया जाता है. शुक्ल पक्ष की सप्तमी के मौके पर आयोजित होने वाले मेले के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां पहुंचकर माता के मंदिर में शीष नवाते हैं.
महारावल गजसिंह ने कराया था मंदिर निर्माण:मंदिर के पुजारी नंद किशोर शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर के पास आबादी में वर्षों पूर्व भादरिया नाम से राजपूत व्यक्ति निवास करता था तथा वह व उसका पूरा परिवार भादरियाराय माता के अनन्य भक्त था. भक्ति की चर्चा सुनकर मध्यप्रदेश के तत्कालीन महाराजा भादरिया आए तथा यहां माता ने सात बहिनों व भाई के साथ दर्शन दिए. मान्यता है कि संवत् 1885 में जैसलमेर व बीकानेर शासकों के बीच जब युद्ध हुआ, तब भादरिया राय माता ने कई चमत्कार भी दिखाए. इसके बाद पूर्व महारावल गजसिंह ने भादरिया में मंदिर का निर्माण करवाया. विक्रम संवत् 1888 आश्विन माह की पूर्णिमा को मंदिर की प्रतिष्ठा की गई. संवत् 1969 माघ शुक्ल चतुर्दशी को पूर्व महारावल शालीवान ने भादरिया माता को चांदी का सिंहासन भेंट किया.