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झारखंड में 107 करोड़ की अवैध निकासी मामला, बंगाल कनेक्शन खंगालने में जुटी एसआईटी

करोड़ों की अवैध निकासी मामले के तार पश्चिम बंगाल से जुड़े हैं. एसआईटी को जांच के क्रम में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं.

Illegal Withdrawal In Jharkhand
झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता. (फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 29, 2024, 5:43 PM IST

रांचीःझारखंड सरकार के महत्वपूर्ण उपक्रम पर्यटन विकास निगम लिमिटेड झारखंड, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और झारखंड ऊर्जा उत्पादन निगम लिमिटेड के खाते से लगभग 107 करोड़ रुपये गायब करने की साजिश का बंगाल कनेक्शन सामने आया है. मामले में गठित एसआईटी जांच में जुटी हुई है.

बंगाल कनेक्शन आया सामने

करोड़ों की अवैध निकासी मामले की जांच कर रही एसआईटी को यह जानकारी मिली है कि पश्चिम बंगाल के हजारों सिम कार्ड का प्रयोग कर दर्जनों की संख्या में खाते खुलवाकर पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में अवैध निकासी के पैसे ट्रांसफर किए गए हैं. मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अब तक 350 खातों में पड़े 47 करोड़, 20 लाख रुपये फ्रीज करवाया है.

जानकारी देते झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता. (वीडियो-ईटीवी भारत)

डीजीपी ने दी जानकारी

इस संबंध में झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि सरकारी पैसे की निकासी में बंगाल कनेक्शन सामने आया है. उसकी जांच की जा रही है. अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि ऊर्जा विभाग के 109 करोड़ रुपए की अवैध निकासी मामले का मास्टरमाइंड कोलकाता का रहने वाला है. उस व्यक्ति ने अपने गुर्गों, बैंक कर्मियों और कुछ सरकारी कर्मियों की मदद से घोटाले को अंजाम दिया है.

एसआईटी की जांच में यह बात भी सामने आई है कि 109 करोड़ की अवैध निकासी के लिए लगभग 1200 खातों का इस्तेमाल किया गया था. खातों के लिए हजारों की संख्या में सिम कार्ड का प्रयोग किया गया था. डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि अब तक इस मामले में 50 करोड़ रुपये से ज्यादा फ्रीज किए गए हैं, जबकि सेंट्रल बैंक के एक मैनेजर सहित 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

बंगाल के संदिग्ध खाताधारियों की जांच

अवैध निकासी मामले में बंगाल के संदिग्ध खाताधारियों और उनके झारखंड लिंक की जांच की जा रही है. सबसे ज्यादा पैसे बंगाल से जुड़े खातों में हस्तांतरित किए गए हैं. जिन खाताधारी के नाम जांच के दौरान उजागर हुए हैं, उनमें से करीब 600 संदिग्ध हैं. एसआईटी की जांच में कई ऐसे खाताधारक भी मिले हैं जो छोटे-मोटे कारोबार से जुड़े हैं.

सरकारी विभाग के खातों से अवैध निकासी मामले की जांच के लिए एसआईटी नेशनल साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल की भी मदद ले रही है. इसमें साइबर अपराध थाना और विभिन्न बैंकों ने भी एसआईटी का सहयोग किया है. बता दें कि इस प्रकरण में 28 सितंबर को रांची के धुर्वा थाने में झारखंड पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के महाप्रबंधक वित्त ने एफआईआर दर्ज करवाई थी. सीआईडी ने इस केस को टेकओवर किया और सीआईडी ने 4 अक्टूबर को मामले में एफआईआर दर्ज करायी थी. इस प्रकरण की जांच के लिए एटीएस के एसपी ऋषभ झा के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई थी. एसआईटी ने अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है.

कौन-कौन हुए गिरफ्तार ,क्या-क्या हुआ बरामद

मामले में अब तक छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. जिनमें जेटीडीसी के तत्कालीन लेखपाल गिरिजा सिंह, केनरा बैंक हटिया के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अमरजीत कुमार, साजिशकर्ता रूद्र उर्फ समीर, रांची के रहने वाले लोकेश्वर शाह, रांची के बिरसा चौक स्थित सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक लोलस लकड़ा और इलाहाबाद बैंक के अमर कुमार शामिल हैं. मामले में पुख्ता सबूत के बाद करीब 350 खातों में पड़े 47 करोड़ 20 लाख रुपये को फ्रीज करवाया गया है. इस केस में एक करोड़ 23 लाख रुपए नगदी और 17 लाख रुपए के जेवर अब तक बरामद किए गए हैं.

दोषियों को नहीं छोड़ा जाएगाः डीजीपी

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि मामला काफी बड़ा है और सरकारी पैसा किसी भी हाल में वापस लाना पुलिस की जिम्मेवारी है. इस मामले में सभी संदिग्ध पुलिस की रडार पर हैं. बंगाल कनेक्शन भी सामने आ चुका है और जल्द ही सभी आरोपी गिरफ्तार किए जाएंगे.

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