राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

अब 18 साल तक को बच्चों को भी दिया जाएगा स्वर्णप्राशन, जानिए इस आयुर्वेदिक विधी का फायदे - SWARNAPRASHAN

जोधपुर आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की ओर से पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्णप्राशन की खुराक अब 18 साल तक के बच्चों को दी जाएगी.

स्वर्णप्राशन की खुराक
स्वर्णप्राशन की खुराक (ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 26, 2024, 6:31 AM IST

जोधपुर:आयुर्वेद में हर बीमारी के लिए औषधियों का प्रावधान है. साथ ही ऐसी विधियां भी उपलब्ध हैं, जो बीमारियों को दूर रख सकती हैं. ऐसी ही एक विशेष विधि है स्वर्णप्राशन, जो बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) को बढ़ाने में सहायक है. यह न केवल बच्चों की इम्युनिटी को मजबूत करता है, बल्कि उनकी बुद्धि, मेधा और दृष्टि में भी सुधार करता है.

पुष्य नक्षत्र का महत्व :स्वर्णप्राशन का सेवन विशेष रूप से पुष्य नक्षत्र के दिन किया जाता है, जिसे पोषण का दिन कहा जाता है. जोधपुर स्थित डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय में स्वर्णप्राशन का निर्माण किया जाता है. हर पुष्य नक्षत्र पर शहर के छह केंद्रों पर बच्चों को इसकी खुराक दी जाती है. आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. हरीश कुमार सिंघल ने बताया कि स्वर्णप्राशन का उल्लेख काश्यप संहिता में मिलता है. इसे मधु (शहद) और घृत (घी) में सोने का मिश्रण मिलाकर तैयार किया जाता है. वर्तमान समय में स्वर्ण भस्म का उपयोग कर इसका निर्माण किया जाता है.

डॉ. हरीश कुमार सिंघल (ETV Bharat Jodhpur)

इसे भी पढ़ें-अच्छी खबर : आयुर्वेद विश्वविद्यालय का 'चमत्कारी चूर्ण', दावा- डायबिटीज के लिए रामबाण साबित हो रहा

कौन कर सकता है सेवन :डॉ. हरीश कुमार सिंघल ने बताया कि पहले स्वर्णप्राशन जन्म से लेकर 16 वर्ष तक के बच्चों को दिया जाता था, लेकिन अब भारतीय चिकित्सा परिषद के निर्देशानुसार इसे 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए भी उपयोगी माना गया है. डॉ. सिंघल का कहना है कि 18 वर्ष की आयु तक बच्चों का शारीरिक विकास होता है और इस अवधि में स्वर्णप्राशन अत्यंत प्रभावी है.

स्वर्णप्राशन के लाभ :डॉ. सिंघल ने जानकारी दी किस्वर्णप्राशन का अर्थ है सोने का सेवन. इसे शहद और घी के साथ मिलाकर तरल रूप में तैयार किया जाता है. डॉ. सिंघल ने बताया कि 2016 से आयुर्वेद विश्वविद्यालय इस विधि का अनुसरण कर रहा है. इसके नियमित सेवन से बच्चों में बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. खासकर वे बच्चे जिन्हें बार-बार सर्दी, खांसी या जुकाम की समस्या होती है, उन्हें इससे फायदा होता हैं. उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इससे आंखों की दृष्टि में भी सुधार होता है.कई बच्चों ने इसके सेवन से बेहतर दृष्टि पाई है.

अभिभावकों का बढ़ता रुझान :डॉ. सिंघल ने बताया कि स्वर्णप्राशन के लाभों को देखते हुए अभिभावकों का रुझान इस ओर तेजी से बढ़ा है. हर पुष्य नक्षत्र पर आयोजित कार्यक्रमों में सैकड़ों बच्चे हिस्सा लेते है. आयुर्वेद विश्वविद्यालय का यह प्रयास बच्चों के समग्र विकास के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details