गया: बिहार में चार विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है. नामांकन की प्रक्रिया समाप्त हो गयी. प्रचार-प्रसार अभियान जोर पकड़ रहा है. सभी चार सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के अलावा जन सुराज ने भी अपना प्रत्याशी उतारा है. जिले के जिन दो विधानसभा में उपचुनाव होना है, यहां इस बार त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र, राजद का गढ़ माना जाता है. लगभग 30 वर्षों से डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं.
त्रिकोणीय है मुकाबलाः जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से सुरेंद्र यादव के सांसद बनने के बाद बेलागंज क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है. राजद ने सुरेंद्र यादव के बेटा डॉ विश्वनाथ यादव को प्रत्याशी बनाया है. जदयू ने पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को प्रत्याशी बनाया है. दोनों यादव जाति से आते हैं. पहली बार चुनाव लड़ रहा जन सुराज ने मोहम्मद अमजद को अपना प्रत्याशी बनाया है. लेकिन, इस वक्त सवाल यह कि पिछले 30 वर्षों में बेलागंज विधानसभा क्षेत्र कितना बदला है?
विकास भी मुद्दा हैः इस सवाल पर क्षेत्र की जनता और जिले के वरिष्ठ पत्रकारों का मानना है कि जातीय समीकरण के साथ क्षेत्र में विकास भी मुद्दा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर अब्दुल कादिर कहते हैं कि बिहार में जो चुनाव होता है वह कास्ट बेस पर आधारित होता है. यहां विकास का मुद्दा सेकेंडरी होता है. अभी भी जातीय समीकरण जिसके फेवर में होगा, जीत उसी की होती है. जहां तक बेलगंज क्षेत्र में विकास और बदलाव की बात है तो, यह सही है कि दूसरे विधायक की तुलना में सुरेंद्र यादव ने अपने क्षेत्र को ज्यादा बेहतर ढंग से सींचा है.
"वैसे तो बिहार में सड़क और बिजली में सभी जगहों पर सुधार हुआ है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में अन्य जगहों की तुलना में कुछ पहले ही यह सब विकास के कार्य हुए हैं."- प्रोफेसर अब्दुल कादिर, वरिष्ठ पत्रकार