राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

दक्षिणी राजस्थान में 'बाप' ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की मुश्किलें, क्या त्रिकोणीय होगा मुकाबला ?

बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है. हालांकि खबरें ये भी आ रही है कि कांग्रेस बीएपी के साथ गठबंधन कर सकती है. राजनीतिक लिहाज से इस क्षेत्र कांग्रेस की मजबूत पकड़ है, लेकिन पिछले 2 बार से भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया है. माना जा रहा है तीसरे मोर्चे के कारण इस बार का मुकाबला ओर अधिक रोचक होगा.

BAP party declared Candidate
बाप' ने बढ़ाई भाजपा-कांग्रेस की मुश्किलें

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 11, 2024, 1:49 PM IST

उदयपुर. दक्षिणी राजस्थान की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलेगा. अब भाजपा-कांग्रेस के अलावा बाप पार्टी के प्रत्याशी ने मैदान में ताल ठोक दी है. भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने लोकसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से चौरासी विधायक राजकुमार रोत को मैदान में उतारा है. ऐसे में इंडिया गठबंधन को फिलहाल तो झटका लगता हुआ नजर आ रहा है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी जल्द ही बाप पार्टी के साथ अलांएस कर सकती है.

डूंगरपुर-बांसवाड़ा सीट पर दिलचस्प मुकाबला :राजस्थान का दक्षिणांचल आदिवासी बहुल बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिला कई मायनों में खास है. राजनीतिक लिहाज से इस क्षेत्र कांग्रेस की मजबूत पकड़ है, लेकिन पिछले 2 बार से भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाया है. 2014 में भाजपा के मानशंकर निनामा ने सांसद रहे. 2019 में भाजपा के ही कनकमल कटारा जीते. इस बार भाजपा ने इस सीट से कांग्रेस से भाजपा में आए महेंद्र जीत सिंह मालवीय को टिकट दिया है. ऐसे में कांग्रेस अपनी इस परंपरागत सीट को फिर से हासिल करने के प्रयास करेगी, जबकि बांसवाड़ा-डूंगरपुर में नई आई भारत आदिवासी पार्टी भी इस बार मैदान में रहेगी. फिलहाल, बांसवाड़ा की 5 और डूंगरपुर की 3 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है.

क्या महेंद्रजीत सिंह मालवीय बदल पाएंगे स्थिति ? :हालांकि बागीदौरा से कांग्रेस विधायक रहे महेंद्र जीत सिंह मालवीय के भाजपा में आने के बाद अब भाजपा मजबूत स्थिति में आती दिख रही है. बांसवाड़ा में घाटोल, बांसवाड़ा और कुशलगढ़ विधानसभा कांग्रेस के कब्जे में है. जबकि डूंगरपुर विधानसभा सीट पर भी कांग्रेस से विधायक है. वहीं, भाजपा के पास बांसवाड़ा जिले की गढ़ी और डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा सीट है. भारत आदिवासी पार्टी की बात करें तो डूंगरपुर के चौरासी विधानसभा सीट इस पार्टी के पास है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के साथ ही भारत आदिवासी पार्टी से भी चुनौती मिलने वाली है.

इसे भी पढ़ें :बीएपी विधायक राजकुमार रोत का विवादित बयान, रामायण के पात्रों को बताया काल्पनिक

बाप खड़ी कर सकती है मुश्किलें ? :भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के बाद नई बनी भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) भी आदिवासियों के नाम पर ही राजनीति कर रही है. बीटीपी से अलग होने के बाद बीएपी ने इस लोकसभा चुनाव में पहली बार अपने प्रत्याशी उतारा है. हालांकि कांग्रेस के सीनियर नेता रहे महेंद्रजीत मालवीय के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस और बीएपी में समझौते की खबरें आ रही है, लेकिन बीएपी और कांग्रेस के स्थानीय नेता इन खबरों को सिरे से खारिज कर चुके हैं. ऐसे में बीएपी ने प्रत्याशी उतारे तो भाजपा के साथ ही कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ने वाली है और त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा.

लोकसभा क्षेत्र में बढ़ रहा बीएपी का वोट प्रतिशत :बाप प्रत्याशी राजकुमार रोत इस बार विधानसभा चुनाव में चौरासी विधानसभा सीट पर दूसरी बार जीते हैं. उन्हे 1 लाख से ज्यादा वोट मिले थे और 60 हजार के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. ऐसे में आदिवासी क्षेत्र में राजकुमार रोत की मजबूत पकड़ है. इसमें भी उदयपुर और डूंगरपुर-बांसवाड़ा लोकसभा सीट खास महत्व रखती है, जो ST वर्ग के लिए आरक्षित भी है. दोनों लोकसभा की सीटों के आंकड़ें को देखें तो 16 विधानसभा सीटों में से बीजेपी के पास 7, कांग्रेस के पास 6 जबकि पहली बार चुनाव में उतरी बीएपी यानी भारतीय आदिवासी पार्टी के पास तीन सीटें हैं. मूलत: आदिवासी समाज के दम पर विधानसभा चुनाव में बीएपी न केवल 3 सीटों को जीती है, बल्कि सभी 16 सीटों पर वोट का बड़ा मार्जन भी हासिल कर पाई है.

इसे भी पढ़ें :भारत आदिवासी पार्टी ने बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर चौरासी विधायक राजकुमार रोत को बनाया प्रत्याशी

विधानसभा चुनाव में इस पार्टी को मिले इतने वोट : विधानसभा 2023 के लिहाज से देखें तो उदयपुर डिवीजन में बीजेपी को 6 लाख 46 हजार के करीब वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 5 लाख 15 हजार के करीब और बीएपी को 3 लाख 60 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. इसी तरह से डूंगरपुर - बांसवाड़ा लोकसभा सीट पर बीजेपी को 5 लाख 30 हजार के करीब, कांग्रेस को 5 लाख 97 हजार के करीब, जबकि बीएपी को 4 लाख 81 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं. बीएपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए बीजेपी इस बार आदिवासियों पर फोकस करती नजर आ रही है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details