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पहाड़ पर हाथी को चढ़ाना आसान नहीं, पहाड़ी जिलों में हर बार नाकाम हुई बसपा, इस बार फिर मैदान में - lok sabha election 2024

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद बहुजन समाज पार्टी के हाथी ने पहाड़ों पर कई बार चढ़ने का प्रयास किया है, लेकिन उसे हर बार निराशा ही हाथ लगी. हालांकि एक बार फिर से बसपा ने पहाड़ पर अपने हाथी को चढ़ाने का प्रयास किया है. देखना है इस बार हाथी क्या गुल खिलाता है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 4, 2024, 2:01 PM IST

उत्तरकाशी:लोकसभा चुनाव 2024 में बहुजन समाज पार्टी हमेशा से ही पहाड़ में अपने प्रत्याशी खड़ी करती आई है, लेकिन आजतक हाथी पहाड़ नहीं चढ़ पाया. स्थिति यह रही कि बसपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सहित पूर्व जिलाध्यक्ष 25 हजार मतों पर सिमट कर रह गए थे. वहीं इस चुनाव में पहली बार बसपा ने सीमांत जनपद के दूरस्थ क्षेत्र के प्रत्याशी पर अपना विश्वास जताया है.

उत्तराखंड बनने के बाद बहुजन समाज पार्टी लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव प्रदेश में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करती रही है. विधानसभा चुनाव में प्रदेश के मैदानी जिले हरिद्वार से एक बार बसपा को सफलता भी मिली है, लेकिन लोकसभा चुनाव में पहाड़ पर कभी सफल होती नहीं दिखी. यहां बसपा के वोटर बढ़ने के बजाए घटते ही रहे.

बसपा ने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में टिहरी लोकसभा सीट से प्रत्याशी मैदान में उतारा था. लेकिन बाद में प्रत्याशी ने ही नाम वापस ले लिया था. उसके बाद साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर मुन्ना सिंह चौहान बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे. उन्हें जौनसार पृष्ठभूमि और देहरादून जिले के नाते करीब 90 हजार के आसपास मत मिले.

उसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में टिहरी लोकसभा सीट पर बसपा से वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल चौधरी ने चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें मात्र 25 हजार वोट ही मिल पाए थे. बसपा ने फिर वर्ष 2019 में तत्कालीन देहरादून के जिलाध्यक्ष सत्यपाल को मैदान में उतारा था, जिन्हें सिर्फ 15 हजार वोट ही मिले थे.

अब वर्तमान में बसपा ने मैदानी इलाकों को छोड़ सीमांत जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विधानसभा से प्रत्याशी मैदान में उतारा है. अब यह तो मतगणना के दिन ही पता लग पाएगा कि क्या बसपा पहाड़ के प्रत्याशी के नाम पर मतों की संख्या बढ़ा पाएगी. बसपा के प्रदेश सचिव सतेन्द्र खत्री का कहना है कि उत्तराखंड की जनता भाजपा और कांग्रेस के कार्यकाल से परेशान हो गई है. इसलिए बसपा लगातार जनता के बीच आकर इन दोनों की कमियों को उजागर कर रही है.

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