गिरिडीहःबगोदर विधानसभा से झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के प्रत्याशी मोहम्मद सलीम विवादों में घिर गए हैं. मोहम्मद सलीम के खिलाफ आचार संहिता उल्लंघन की प्राथमिक दर्ज हो चुकी है. डीसी नमन प्रियेश लकड़ा के निर्देश पर बिरनी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई है. मामला गलत सूचना देकर मतदाताओं को गुमराह करने से जुड़ा हुआ. दर्ज प्राथमिक के अनुसार मोहम्मद सलीम ने अपने प्रचार सामग्री में अपने नाम के आगे डॉक्टर जोड़ रखा है. प्राथमिक दर्ज होने के बाद ईटीवी भारत ने मोहम्मद सलीम से बातचीत की. उनसे पूछा कि आखिर इंटर पास मोहम्मद सलीम डॉक्टर सलीम कैसे बन गए.
जांच कर रहा है प्रशासन
बगोदर विधानसभा से जेएलकेएम प्रत्याशी मो सलीम का कहना है कि कोरोना काल के समय में उनके अस्पताल ने लोगों की बहुत सेवा की और उस समय से क्षेत्र के लोग उन्हें डॉक्टर कहने लगे, भले ही वह डॉक्टर नहीं हैं. मो सलीम का कहना है कि उनके पास पीआईएम और एमडी की डिग्री है जो डिप्लोमा डिग्री है. उन्होंने कहा कि कहा कि वे अस्पताल के संचालक हैं. उनका कहना है कि लोग उन्हें डॉक्टर के नाम से जानते हैं. इसलिए उनके समर्थकों और उनके कार्यकर्ताओं ने पोस्टर-बैनर में डॉक्टर नाम जोड़ दिया. मो सलीम का कहना है कि चुनाव के समय में इस तरह का आरोप लगाया गया है, जो गलत है. उन्होंने कोई फर्जीवाड़ा नहीं किया है.
जनता बदलाव के मूड में
चुनाव के माहौल पर मो सलीम का कहना है कि इस बार बगोदर की जनता बदलाव के मूड में है. उनका कहना है कि जयराम महतो से यहां पर भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ तमाम बड़े दल डरे हुए हैं, तभी बड़े दलों के बड़े-बड़े नेताओं की यहां सभी आयोजित की जा रही है. मो सलीम ने कहा कि इस क्षेत्र में विकास नहीं हुआ है और दोनों दल के प्रत्याशी परेशान हैं. इनका कहना है कि बगोदर में कई मुद्दे हैं स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार का मुद्दा है. रोजगार के अभाव में यहां के लोग पलायन करने को मजबूर हैं. यहां ट्रामा सेंटर में डॉक्टर और नर्स नहीं है. पॉलिटेक्निक कॉलेज में भी ताला बंद है. प्रोफेसर नहीं हैं.