बगहाःकोल माइंस में इंजीनियर रहे जगरनाथ राम की जिंदगी में कभी खुशियों की भरमार थी. लेकिन वक्त ने ऐसा करवट लिया कि उनका पूरा परिवार एक-एक कर खत्म हो गया. दूसरी शादी के बाद भी वही दर्दनाक कहानी दोहराई गई. जगरनाथ राम ने इस दुख को अपनी ताकत बनाया. नौकरी छोड़कर बगहा के भितहा प्रखंड में श्मशान घाट के पास नौगांवा पुल के नीचे बांस का मचान बनाकर बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं. उनका जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया.
क्यों रहते हैं पुल के नीचे: बिहार-यूपी सीमा पर बगहा के भितहा प्रखंड अंतर्गत नौगांवा पुल के नीचे 82 वर्षीय जगरनाथ राम बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते हैं. प्राथमिक विद्यालय के दर्जनों गरीब परिवार के बच्चे सुबह शाम इनके पास पढ़ने आते हैं. यहां कैसे आये, यह बताते हुए जगरनाथ राम के चेहरे पर परिवार खोने का दर्द अब एक ताकत के रूप में दिखता है. परिवार के सदस्यों की कैसे मौत हुई इस बारे में कहते हैं सब भगवान का दिया था वो लेकर चले गये.
बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देते जगरनाथ राम. (ETV Bharat) "धनबाद कोल माइंस में इंजीनियर था. मेरा जन्म यहीं बिनही गांव के एक जमींदार परिवार में हुआ था. आज भी मेरे चारों बड़े भाइयों का परिवार है. मुझे 8 बेटियां और दो बेटे थे. अचानक बारी बारी से सबका देहांत हो गया. दूसरी शादी की वो पत्नी भी गुजर गई. उसके बाद से इस श्मशान घाट के पास पुल के नीचे रहने लगे. बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे रहे हैं."- जगरनाथ राम
गरीब बच्चों को देते हैं मुफ्त शिक्षाः स्थानीय बाजार में मछली पकड़ कर बेचने वाले मछुआरा हरेंद्र सहनी बताते हैं कि हमलोग इनको विगत 30 वर्षों से देख रहे हैं. इस पुल के नीचे ही रहते हैं. गरीब परिवार के बच्चों को मुफ्त पढ़ाते हैं. सुबह शाम तकरीबन 60 से 70 बच्चे इनके पास पढ़ने आते हैं. इलाके में 'हैलो सर' के नाम से मशहूर हैं. लोगों का कहना है कि आज के जमाने में मुफ्त शिक्षा देना अपने आप में अलग बात है.
बच्चों को पढ़ाते जगरनाथ राम. (ETV Bharat) बड़ी संख्या में बच्चे पढ़ने आतेः स्थानीय पत्रकार जमालुद्दीन कहते हैं कि अभी ठंड का मौसम है, इसलिए बच्चों की संख्या घटी है. गर्मी के समय इनके पास 70 से 75 बच्चे आते हैं. पुल के नीचे बैठकर निशुल्क प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करते हैं. यहां के लोग कई वर्षों से इनको पुल के नीचे हीं जीवन गुजारते देख रहे हैं. बरसात में जब नदी में पानी आ जाता है तब भी ये इसी पुल के नीचे अपने मचान पर रहते हैं.
इसी मचान पर रहते हैं जगरनाथ राम. (ETV Bharat) बच्चों के घर से आता खानाः स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि यहां से कुछ दूरी पर ही इनका गांव है. संपन्न घर परिवार से हैं. लेकिन लंबे समय से ये पुल के नीचे मचान बनाकर रहते हैं और गरीब परिवार के बच्चों को बिना पैसा लिए पढ़ाते हैं. लोगों ने बताया कि जो बच्चे पढ़ने आते हैं उनके घर से ही सुबह-शाम इनके लिए भोजन आ जाता है. वही खाकर अपने मचान पर सोने चले जाते हैं.
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