हल्द्वानी: अधिक पौष्टिक दूध देने वाली उत्तराखंड की बद्री गाय को दुधारू बनाने की कवायद तेज हो गई है. इसको लेकर उत्तराखंड पशुपालन विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत बद्री गायों के संरक्षण और संवर्धन क्या कार्य शुरू किया है. जिसके पहाड़ के पशुपालकों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके. वहीं उत्तराखंड की कामधेनु कहे जाने वाली बद्री गाय के दूध को पहचान पूरे देश दुनिया में मिल सके.
अपर निदेशक पशुपालन विभाग कुमाऊं मंडल उदय शंकर ने बताया कि कुमाऊं मंडल पशुपालन विभाग राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत बद्री गायों का संरक्षण और संवर्धन करने का काम कर रहा है. जिसके तहत बद्री गायों के दूध उत्पादन की क्षमता बढ़ाई जा रही है. जिसके तहत अल्मोड़ा और बागेश्वर जनपद के पशुपालकों के 2663 बद्री गायों को चिन्हित किया गया है. जिनकी दूध उत्पादन क्षमता प्रतिदिन ढाई लीटर से अधिक है.
उन्होंने बताया कि इन गायों का मिल्क रिकॉर्डिंग किया जा रहा है, जहां अच्छे दूध और अच्छे नस्ल की गायों को पशुपालन विभाग क्रय कर उनका चंपावत जनपद के नरियाल गांव में संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा. जहां अच्छे नस्ल की गायों से बद्री बुल तैयार कर उससे बद्री का ही सीमन लिया जाएगा.पहाड़ की कामधेनु बद्री गाय अब पहाड़ के पशुपालकों के लिए नई उम्मीद बन रही है.
दूध की उत्पादन क्षमता कम होने के चलते पहाड़ के पशुपालकों का इस पहाड़ी गाय पालन से मोहभंग हो गया था. लेकिन अब सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं और पशुपालन विभाग के प्रयासों से बद्री गाय की नस्ल में सुधार होगा. जहां दूध का उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हुई है. यही नहीं पशुपालन विभाग पहाड़ के पशुपालकों को बद्री गाय पालने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है.जिससे पहाड़ की कामधेनु इस गाय के दूध की पहचान पूरे देश दुनिया में बने.