सराज: मंडी जिले में सराज घाटी के देवता बड़ा देव विष्णु मतलोड़ा का होम जिसे जाग भी कहा जाता है, धूमधाम से मनाया गया. ये उत्सव रविवार रात और सोमवार के दिन मनाया गया. जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने शिरकत की. भक्तों ने उत्सव में हाजिरी लगाकर देव विष्णु मतलोड़ा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद लिया. उत्सव के दौरान पूरी घाटी वाद्य यंत्रों की धुनों पर गूंज उठी.
फूलों की बारिश से देवता का स्वागत
वहीं, उत्सव में देवता के पहुंचने पर भक्तों ने उनपर फूलों की बारिश की और देवता का भव्य स्वागत किया. बता दें कि सराज घाटी में लोगों में देव विष्णु मतलोड़ा के प्रति अटूट आस्था है. देव मतलोड़ा की सात हारें (हार- कई गांवों का समूह) हैं. इसमें सिर्फ सराज की 30 पंचायतों से करीब 80 हजार से ज्यादा परिवार हैं. वहीं, सराज के साथ-साथ जिला कुल्लू और बाहरी राज्यों से भी कई श्रद्धालुओं ने देवता के उत्सव में हाजरी भरी.
2 घंटे की खड़ी चढ़ाई कर मूल स्थान पहुंचे देवता
सोमवार सुबह को देवता विष्णु मतलोड़ा अपने लाव-लश्कर के साथ अपनी नवनिर्मित कोठी चौहठ से सुबह सवा पांच बजे देव कांडा के लिए रवाना हुए. देवरथ के साथ हजारों लोगों की जलेब शुरू हुई. इस दौरान सैकड़ों पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज के साथ लोगों ने देवता के रथ को लेकर 2 घंटे की खड़ी चढ़ाई तय की और देवता के मूल स्थान देव कांडा पहुंचाया गया. जहां देवता को फूल मालाओं से सजाया गया, जिसके बाद देवता को उनके देऊरे पहुंचाया गया. इसके अलावा सिर्फ 150 मीटर के रास्ते के लिए देवता संग देवलुओं को ढाई घंटे का समय लगा. देवता के आने के बाद पंडितों ने देवता की आरती की और देवता के होम की धार्मिक रस्में नारियल से की गई.
एक दिन में हुए सैकड़ों मुंडन
सराज घाटी के आराध्य देव बड़ा देव विष्णु मतलोड़ा के होम में के दिन सैकड़ों मुंडन करवाए गए. घाटी के बुजुर्गों के मुताबिक निसंतान दंपति संतान सुख के लिए देवता के पास अपनी मन्नत लेकर आते हैं और बच्चे का मुंडन यही कराने का वादा किया जाता है. जिसके बाद देव मतलोड़ा के आशीर्वाद से अगर दंपति को संतान प्राप्त होती है तो ऐसे में अगर दंपति को पुत्र प्राप्ति हुई हो तो उसका मुंडन यहीं कराया जाता है. ये ही कारण है कि एक ही दिन में यहां सैकड़ों की संख्या में मुंडन किए जाते हैं.