भोपाल: सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के झांसे में रूस गया आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के एक नौजवान अजहरुद्दीन बीते एक साल से लापता है. आखिरी जानकारी ये थी कि उसे रूस की सेना में भर्ती करवा दिया गया है. अजहरुद्दीन की मां नसरीन ने साल भर से बेटे से कोई बात नहीं हो पाने के बाद भोपाल के सैय्यद आबिद हुसैन को अपने दस्तावेज भेजे हैं. दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फंसे भारतीयों की वतन वापसी आसान कराने वाले सैय्यद आबिद हुसैन ने अब इस मामले में विदेश मंत्री एस जयंशकर से दरख्वास्त की है.
आबिद ने ट्वीट कर विदेश मंत्री से गुहार लगाई है कि आजमगढ़ से अजहरुद्दीन नाम के एक शख्स को एजेंट ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेज दिया था. वहां उसे यूक्रेन की सेना के खिलाफ लड़ा दिया गया. इस सदमे में उनके पिता की मौत हो गई और परिवार बेटे की वतन वापसी की गुहार लगा रहा है.
10 महीने से लापता अजहरुद्दीन (ETV Bharat) पैसे का लालच देकर रूस युद्ध में झौंके जा रहे नौजवान
अब तक दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फंसे 700 से ज्यादा भारतीयों की वतन वापसी करा चुके सैय्यद आबिद हुसैन के पास ये मामला आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से आया है. आबिद हुसैनका कहना है कि "ये मामला गंभीर है. गंभीर इसलिए कि पैसों के लालच में एजेंट ने नौजवान की जिंदगी से खेलने की कोशिश की है. आबिद हुसैन ने बताया कि आजमगढ़ से अजहरुद्दीन नाम के एक शख्स के एजेंट ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेज दिया. इस सदमे में उनके पिता मैनुद्दीन की मौत हो चुकी और परिवार दिन रात तनाव में है कि बेटा किस हाल में होगा.
आबिद ने बताया कि मैंने जो जानकारी जुटाई, उसमें एजेंट ने इन्हें ज्यादा पैसे का लालच देकर मौत के मुंह में डाल दिया. परिजनों का कहना है उनकी महीनों से अपने बेटे से बात नहीं हुई है. वे सरकार से बेटे की सही सलामत घर वापसी की मांग कर रहे हैं."
अजहरुद्दीन का वीजा (ETV Bharat) ऐसे 18 भारतीय नौजवान लापता हैं
आबिद हुसैनने बताया कि "भारतीय प्रवासी मजदूरों की रिहाई के लिए मेरे पास एक मामला आया है. जिसके बाद मुझे ये पता चला है कि भारतीय प्रवासी मजदूरों को गार्ड की नौकरी के नाम पर रशिया ले जाया जा रहा है. अभी इन्हीं में से एक परिवार ने मुझसे संपर्क किया. रशिया में फंसे अजहरुद्दीन की बहन ने संपर्क करके बताया कि पिछले साल जनवरी महीने में उनके भाई को रूस भेजा गया था, लेकिन फिर अप्रैल 2024 से उससे बात नहीं हुई है. ये भी नहीं पता है कि भाई कहां है.
आबिद ने कहा कि मैंने उनकी सारी जानकारी और डॉक्यूमेंट एक आवेदन के साथ रशियन एम्बेसी के साथ भारत के विदेश मंत्रालय की टीम को लिखा है कि इनकी जल्द से जल्द वतन वापसी कराई जाए. इसी केस से आगे मुझे ये जानकारी मिली है कि करीब 18 लड़कों की मिसिंग है."
भोपाल के आबिद ने रूस एंबेसी को लिखा पत्र (ETV Bharat) अजहरुद्दीन की मां से 27 अप्रैल को हुई आखिरी बात
आजमगढ़ की रहने वालीनसरीन खानने भारतीय दूतावास और रूस के उच्चायुक्त को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने लिखा है कि "एक वर्ष पहले मेरा पुत्र अजहरुद्दीन रूस सिक्यरिटी गार्ड की नौकरी करने के संबंध में गया था. वहां पहुंचने के एक हफते बाद वहां पर धोखे से एक साल का एग्रीमेंट साइन कराया जो कि रशियन भाषा में था. फिर एग्रीमेंट साइन कराने के बाद इन लोगों को रूस की आर्मी में धोखे से ज्वाइन करा दिया गया. फिर 15 दिन की ट्रेनिंग देकर मेरे बेटे को रूस युद्ध में बार्डर पर भेज दिया.
जबकि वहां पर पर जान का खतरा था. बार्डर पर रहने के दौरान मेरे बेटे का कॉल आया कि अम्मी वहां लोगों ने हमें फंसाया और धोखे से हमें आर्मी में भर्ती करा दिया है. हमारी जान को यहां खतरा है. यह बात जब मेरे शौहर को पता चली तो उनकी तबीयत खराब हो गई और वो पैरालाइज हो गए. फिर हमें कुछ दिन बाद पता चला कि हमारा बेटा जंग में घायल हो गया है. जिसके बाद मेरे शौहर की तबीयत और बिगड़ी और 8 अप्रैल 2014 को उनका इंतकाल हो गया.
मेरा वही बेटा कमाने वाला था. उसके वहां फंसने की वजह से अपना गहना बेचकर पति का इलाज कराया. 27 अप्रैल को उससे आखिरी बार बात हुई. मेरे बेटे ने साल भर पहले तस्वीर भेजी थी. मोबाइल छिन जाने से वो बात नहीं कर पाता है. 27 अप्रैल से उसकी कोई जानकारी नहीं मिल रही है. एम्बेसी में फोन करके यही मिलता है कि वो गायब है. आपसे अनुरोध है असुद्दीन को खोजकर भारत भेजने की कृपा करें."