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अगस्त क्रांति स्पेशल : बीकानेर के इस शख्स ने बापू के चरखे में पिरोया पूरा भारत, सोने की नक्काशी से बनाए चरखे में लगे 3 साल - August Kranti Special

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 8, 2024, 1:33 PM IST

Golden Art of Bikaner साल 1942 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की ओर से अंग्रेजों के खिलाफ आजादी को लेकर लड़ी गई अंतिम लड़ाई को अगस्त क्रांति के नाम से जाना जाता है. महात्मा गांधी का चरखा सदा उनके एक पहचान के रूप में रहा है. बीकानेर में एक शख्स ने बापू के प्रिय चरखे को अपनी नवाचार से कुछ इस तरह से बनाया कि पूरा भारत एक चरखे में समाया नजर आता है. पढ़िए खास रिपोर्ट..

August Kranti
August Kranti (फोटो ईटीवी भारत बीकानेर)

बापू के चरखे में पिरोया पूरा भारत (PHOTO : ETV BHARAt)

बीकानेर. हजार हवेलियों के शहर के रूप में बीकानेर की पहचान है. अपने नमकीन के तीखेपन और रसगुल्लों की मिठास के लिए देश ही नहीं विदेशों तक याद किया जाने वाला यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ आज आगे बढ़ रहा है. पूरी दुनिया में एकमात्र बीकानेर ही एक ऐसा शहर है जिसकी उस्ता कला यानी कि सोने की नक्काशी कलाकारी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. बीकानेर की इस प्राचीन कला में नवाचार करते हुए अब यहां की गोल्डन आर्ट भी प्रसिद्धि पा रही है. इसी कला के साथ बीकानेर के एक शख्स ने महात्मा गांधी के प्रिय चरखे में पूरे देश को पिरोने का प्रयास किया है. महात्मा गांधी की बदौलत चरखा देश के आर्थिक स्वावलंबन और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना था. चरखे जैसी सामान्य चीज महात्मा गांधी के हाथों में आते ही सोए हुए भारत में नई जान फूंक कर विश्व पटल पर नई ताकत के साथ उठ खड़े होने का दैवीय शस्त्र बन गया था.

एक चरखा पूरा भारत : आर्टिस्ट रामकुमार भादानी कहते हैं कि उनके मन में एक विचार आया कि कुछ ऐसा बनाया जाए जो विविधता में एकता और भारत की एकरूपता और अखंडता को प्रदर्शित करें और ऐसा लगे कि एक जगह पूरा भारत है. महात्मा गांधी इस पूरे विचार में केंद्र में थे, क्योंकि वे देश के राष्ट्रपिता है और इसी से जोड़ते हुए चरखा दिमाग में आया और फिर इस चरखे को बनाया, जिसमें भारत के सभी राष्ट्रीय चिन्ह, राष्ट्रभाषा, महात्मा गांधी के तीन बंदर उनका चश्मा उनकी घड़ी सबको समाहित किया. वो कहते हैं कि सत्यमेव जयते हमारा परम वाक्य है. इसको शामिल करते हुए अशोक चक्र की 24 तीलियों और उनके नाम का उल्लेख भी इस चरखे में किया गया है. ताकि देखने वाला हमारी संस्कृति हमारे अखंडता और विविधता इन सब से परिचित हो.

3 साल में साकार हुआ सपना (PHOTO : ETV BHARAt)

3 साल में साकार हुआ सपना : वो कहते हैं कि इस चरखे को बनाने का ख्याल जब मन में आया और तब पता नहीं था कि यह कैसा बनेगा, लेकिन 3 साल बाद में मेहनत रंग लाई और कई गणमान्य लोगों ने इस चरखे को देखकर उनकी कलाकारी को सराहा है. रामकुमार कहते हैं कि उनकी इच्छा है कि यह चरखा भारत की महामहिम या फिर प्रधानमंत्री को वो भेंट करें और यह चरखा भारत की संसद में स्थापित हो ताकि लोग इस चरखे को देखकर हमारी देश की संस्कृति को समझें और बीकानेर की यह कला भी एक मंच पर स्थान पा सके.

आम लोगों तक पहुंचे कला :गोल्डन आर्ट के आर्टिस्ट रामकुमार भादानी कहते हैं कि मैं पिछले 15 सालों से इस कला के माध्यम से अनेक को नवाचार करने में जुटा हुआ हूं. हालांकि अब यह मेरी जीविकोपार्जन का भी साधन है. वे कहते हैं कि गोल्डन आर्ट बीकानेर की पहचान है और धीरे-धीरे यह लोगों तक पहुंचे इसको लेकर वह प्रयास करते रहते हैं. इस कला से कुछ विशेष चीज ही बनती थी. जो हर व्यक्ति तक नहीं पहुंच पाती थी.

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कई लोगों को किया भेंट : रामकुमार कहते हैं कि उनके गोल्डन आर्ट के बने हुए अलग-अलग आइटम मोमेंटो कई गणमान्य लोगों को बतौर प्रतीक चिन्ह कई अवसर पर भेंट किए गए हैं. पिछले दिनों बीकानेर के दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जो प्रतीक चिन्ह भेंट किया वह मेरे ही बनाया हुआ था. इसके अलावा भारत की मुख्य न्यायाधीश को भी बीकानेर दौरे पर उनके द्वारा बनाया गया मोमेंटो भेंट किया. अपनी कला के चलते रामकुमार राज्य और जिला स्तर पर कई बार सम्मानित हो चुके हैं.

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