देवघर: पाकुड़ से रांची लौटने के दौरान असम के मुख्यमंत्री और बीजेपी के झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा ने देवघर एयरपोर्ट पर कहा कि पाकुड़ सहित संथाल परगना की स्थिति बहुत ही खराब है. जो हालत उन्होंने देखा है उन हालातों को और परिस्थितियों को राज्य के राज्यपाल के साथ साझा करेंगे.
पाकुड़ से लौटने के बाद उन्होंने देवघर एयरपोर्ट पर कहा कि पूरे जिले में आदिवासियों की जमीन हड़पी जा रही है. कई लोगों के जमीन को वापस दिलवाने के लिए कोर्ट का आदेश भी जारी हो चुका है लेकिन स्थानीय पुलिस लोगों की मदद नहीं कर रही है. वहीं 26 जुलाई को पाकुड़ के केकेएम कॉलेज में आदिवासी छात्रों पर हुए लाठीचार्ज को लेकर असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों पर बर्बरतापूर्ण हमला किया गया है और उनके ऊपर नक्सली होने का केस लगाया गया है. इसको लेकर उन्होंने मीडिया के माध्यम से राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया है कि आदिवासी छात्रों पर जुल्म करना बंद करें.
वहीं झारखंड विधानसभा में चल रहे सत्र को लेकर सीएम हेमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि उनके विधायकों को जो उचित लग रहा है, उनके विधायक गण सदन में जनता के लिए आवाज रख रहे हैं. इस पर उनको कुछ बोलने की जरूरत नहीं है.
झारखंड विधानसभा के होने वाले आगामी चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अब तैयारियों में जुट गई है. सभी राजनीतिक पार्टियां राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर रणनीति बना रही है ताकि ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर अपनी जीत दर्ज कर सके. भारतीय जनता पार्टी के नेता विभिन्न क्षेत्रों में जाकर अपने कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और उन्हें चुनाव के मद्देनजर आवश्यक दिशा निर्देश देते दिख रहे हैं.
गुरुवार को दुमका में प्रमंडलीय बैठक करने पहुंचे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने देवघर एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि संथाल परगना में जो आदिवासियों की हालत है उसका सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण है वह है झारखंड मुक्ति मोर्चा. उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा पर निशाना साधते हुए कहा कि संथाल क्षेत्र में जिस तरह से आदिवासियों की संख्या घट रही है, आदिवासी समाज के लोग संथाल क्षेत्र में प्रताड़ित हो रहे हैं लेकिन राज्य के आदिवासी कहे जाने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की नजर उन पर नहीं पड़ रही है.
उन्होंने जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष सह राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते कहा कि वह सिर्फ नाम के आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, उन्हें आदिवासियों की कोई फिक्र नहीं है. उन्होंने जो भी वादे किए थे उनमें से किसी भी वादे को उन्होंने निभाने का काम नहीं किया है. पिछले पांच वर्षों से जनता खुद को ठगी ठगी सी महसूस कर रही है और मुख्यमंत्री चुप्पी साध कर फिर से चुनाव में आने की तैयारी कर रहे हैं.