अशोकनगर: मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिला अस्पताल से बच्चों की मौत का सनसनीखेज मामला सामने आया है. बीते 9 माह में 104 नवजातों की मौत होने की पुष्टि हुई है. वहीं सोमवार देर शाम जिला अस्पताल के मेटरनिटी वार्ड में सीजर (ऑपरेशन) के दौरान भी एक नवजात की मौत हुई. जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया. सूचना मिलने के बाद प्रशासनिक टीम ने देर रात मरीज के परिजन व ड्यूटी स्टाफ के बयान लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को जांच रिपोर्ट सौंपी है. 8 दिन में यह नवजात की मौत का दूसरा मामला बताया जा रहा है.
9 माह में 104 नवजात की हो चुकी मौत
जिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान नवजात की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा. जहां 8 दिन के अंदर हाल ही में दो नवजात की मौत हो चुकी है. यह दोनों ही केस एक ही महिला डॉक्टर नेहा धुर्वे के बताए जा रहे हैं. अगर बीते माह की बात की जाए तो 9 माह में डिलीवरी के दौरान 104 नवजात की मौत के मामले सामने आ चुके हैं.
नवजात की मौत मामले में एनएचएम ने मांगा जवाब
नवजात की मौत के मामले में जब जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डीके भार्गव से ईटीवी भारत ने बात की तो उन्होंने बताया कि "एनएचएम (नेशनल हेल्थ मिशन) इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है. वहीं उन्होंने शिशुओं की मौत के मामले में जवाब भी मांगा है. फिलहाल मामले की जांच चल रही है.
अशोकनगर में नवजात की मौत के बाद हंगामा (ETV Bharat) सीजर के दौरान हुई नवजात की मौत
पाराशर मोहल्ला निवासी सुमित पाराशरने बताया कि "वह अपनी पत्नी लक्ष्मी को दोपहर 1 बजे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां डॉक्टरों के अनुसार उन्हें भर्ती कराया गया. वहीं स्टाफ ने बीपी (ब्लड प्रेशर) बढ़ने की बात को लेकर दवा दी, लेकिन कुछ देर बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी. जिसके बाद कॉल करके महिला डॉक्टर नीलम धुर्वे को बुलाया गया, जहां शाम 7 बजे उनका ऑपरेशन किया गया. इस दौरान नवजात की मौत हो गई. जिसके बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया."
6 दिन में दो नवजात की मौत
जिला अस्पताल में हाल ही में लक्ष्मी पाराशर के सीजर के दौरान नवजात की मौत हो गई है. इसके 6 दिन पहले उमा बैरागी के बच्चे की भी जिला अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मौत हुई थी. जिसमें परिजनोंने आरोप लगाते हुए बताया की "डिलीवरी के बाद ठंड के मौसम में नवजात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, व उसे लोहे की टेबल पर रख दिया गया. जिस कारण उसकी मौत हो गई. इस दौरान भी परिजनों ने जिला अस्पताल में जमकर हंगामा किया था."
अशोकनगर में परिजनों ने किया हंगामा (ETV Bharat) रात के समय ड्यूटी पर नहीं रहती महिला डॉक्टर
अशोकनगर जिला अस्पताल में प्रतिदिन रात के समय 12 से 15 डिलीवरी होती है. जिसमें मरीज कई तरह से गंभीर भी हो जाते हैं. इसके बाद ड्यूटी स्टाफ द्वारा डॉक्टर को कॉल करके उन्हें बुलाते हैं. जिसके कारण कभी-कभी मरीज के साथ गंभीर स्थिति बन जाती है. जबकि जिला अस्पताल में रात के समय कभी महिला डाक्टर मौजूद नहीं रहती. यह भी लापरवाही का बड़ा उदाहरण है.
इनका कहना है
तहसीलदार रोहित रघुवंशी ने बताया कि "एसडीएम के निर्देश पर राजस्व की टीम जिला अस्पताल पहुंची थी. जहां जानकारी मिली की ऑपरेशन के दौरान एक महिला के नवजात की मौत हो गई है. इसके बाद परिजनों के बयान के साथ-साथ डॉक्टर व ड्यूटी स्टाफ के बयान भी दर्ज किए गए हैं. मामला गंभीर है, इसलिए इस मामले की रिपोर्ट एसडीएम को भेज दी गई है."