अशोकनगर के किसानों में ये कैसा कन्फ्यूजन, खास सेंटर पर भीड़ देखकर अधिकारियों का छूटा पसीना - Ashoknagar Fertilizer Crisis
रबी फसल की बुवाई को लेकर अशोकनगर के वेयरहाउस में खाद लेने के लिए किसानों की भीड़ उमड़ पड़ी है. यहां किसानों को डीएपी और एनपीके खाद दी जा रही है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि जिले में खाद की कोई किल्लत नहीं है.
अशोकनगर में किसानों के बीच खाद को लेकर हुआ कन्फ्यूजन (ETV Bharat)
अशोकनगर: खरीफ का सीजन खत्म होने को है और रबी फसल की बुवाई को लेकर किसान अभी से चिंतित हो गए हैं, जिसके चलते खाद वेयर हाउस पर किसानों की लंबी लाइनें देखने को मिल रही हैं. अशोकनगर वेयरहाउस पर भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला, जहां सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान वेयरहाउस पर पहुंचकर खाद के टोकन लेने के लिए लाइनों में लगे देखे गए.
वेयरहाउस पर खाद के लिए लगी किसानों की भीड़
बता दें कि शुक्रवार को किसान वेयर हाउस पर खाद लेने के लिए पहुंचे थे, जहां उन्हें लगा कि खाद जल्द ही खत्म होने वाली है. इसी वजह से सोमवार को वेयरहाउस पर किसानों की भीड़ लग गई. वहीं, बाजार की निजी दुकानों पर खाद नहीं होने के कारण किसानों की चिंता और बढ़ी हुई है. अशोकनगर में लगभग 50 से अधिक खाद की दुकानें हैं, जिन पर किसानों को फिलहाल खाद उपलब्ध नहीं है. खाद मिलने का एकमात्र स्थान शासकीय वेयरहाउस ही है. इसके कारण रबी की फसल को लेकर किसान पहले से ही खाद का स्टॉक कर रहे हैं.
अशोकनगर के वेयरहाउस पर खाद के लिए लगी किसानों की भीड़ (ETV Bharat)
अशोकनगर के वेयरहाउस पर खाद के लिए लगी किसानों की भीड़ (ETV Bharat)
1 हेक्टेयर पर दिए जा रहे हैं खाद के 3 बैग
वेयरहाउस पहुंचे किसानों को एक हेक्टेयर पर खाद के 3 बैग ही दिए जा रहे हैं, जिनमें 2 डीएपी और 1 एनपीके खाद के बैग हैं. किसानों का कहना है कि हम लोग अधिक रकबा की किताब लेकर पहुंचे थे, लेकिन इसके बावजूद भी 3 बैग ही खाद मिली है. अगर एक बार में ही बीघा के हिसाब से खाद के बैग दे दिए जाएं तो हमें काफी सुगमता रहेगी. कृषि विभाग के एसडीओ मुकेश रघुवंशीने बताया कि ''खाद की किसी भी तरह की कोई किल्लत नहीं है. आज ही एक रैक लगा है, जिसमें 500 मीट्रिक टन डीएपी और 700 मीट्रिक टन एनपीके खाद उपलब्ध हुआ है. यही किसानों को वितरित किया जा रहा है. जबकि ढाई हजार खाद के बैग हमारे पास पुराने स्टॉक में रखे हुए हैं. इसके बाद हमें एक रैक की और आवश्यकता है, जिसके बाद अशोकनगर में खाद की किसी भी तरह की किल्लत नहीं रहेगी.''