अररिया:बिहार में शिक्षा विभाग के नए कारनामा से सब हैरान हैं. इसको लेकर शिक्षा विभाग का खूब मजाक उड़ाया जा रहा है. सवाल है कि क्या मरने के बाद भी शिक्षक नौकरी कर सकता है? कोई भी इस सवाल का जवाब 'नहीं' में देगा लेकिन शिक्षा विभाग को शायद इस सवाल का जवाब 'हां' लगता है. इसलिए विभाग के द्वारा उल्टा-पुल्टा आदेश जारी किया गया है.
मृत शिक्षक से स्पष्टीकरण: दरअसल, यह मामला अररिया डीपीओ स्थापना से जुड़ा है. अररिया डीपीओ स्थापना की ओर से 1024 शिक्षकों से सप्ष्टीकरण मांगा गया है. स्पष्टीकरण की कॉपी को सोशल मीडिया X डाला गया है. Education Bihar @Educatio_Biharसे जानकारी दी गयी है कि मृत शिक्षकों की सूची विभाग के पास नहीं है. कहा जा रहा है कि 1024 शिक्षकों में 11 शिक्षक ऐसे हैं, जिसकी मौत साल 2024 में हो चुकी है.
'इनकी हो चुकी है मौत': शिक्षक संघ का कहना है कि शिक्षा विभाग की ओर से जारी लिस्ट में 11 शिक्षकों में परमानंद ऋषिदेव, मंजूर आलम, नसीम अख्तर, विश्वबंधु ठाकुर, अफसाना खातून, मो. कासिम, सादिक अनवर, बीबी नहार, अंतेश कुमार सिंह, देवानंद मंडल, मनोज कुमार पटवे शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इन सभी शिक्षकों का निधन साल 2024 में हो चुका है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग उम्मीद करता है कि ये सभी स्कूल में समय से उपस्थित हों.
अनुपस्थित रहने पर स्पष्टीकरण: इन सभी शिक्षक को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अनुपस्थित पाया गया. इसलिए डीपीओ स्थापना रवि रंजन ने अपने पत्रांक 184/ 18-01-2025 के द्वारा स्पष्टीकरण मांगा है. अब इन शिक्षकों से अनुपस्थित रहने का कारण पूछा गया है. इस मामले में डीपीओ ने विद्यालय के प्रधान व बीईओ दोषी ठहराया है. कहा कि उन्हें समय से प्रतिवेदन उपलब्ध नहीं कराया गया.
"विद्यालय के प्रधान व बीईओ की जिम्मेदारी थी कि मृत शिक्षकों का प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं. लेकिन रिपोर्ट नहीं दी गयी. अवलोकन के दौरान इन शिक्षकों की उपस्थिति नहीं थी. इसलिए स्पष्टीकरण मांगा गया है. लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."-रवि रंजन, डीपीओ स्थापना