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खास है अंतू साव का ताजिया! 150 साल से मुहर्रम में निकाल रहे हैं ताजिया - Muharram 2024

Antu Sao family made Tazia on Muharram. तू हिंदू बनेगा, न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है, इंसान बनेगा… भले ही इन पंक्तियों को फिल्म के माध्यम से जानते हैं. लेकिन हजारीबाग के अंतू साव अपने बच्चों को यही तालीम देते हैं. हसन-हुसैन की शहादत का मातमी मुहर्रम का महीना हो और अंतू साव का जिक्र ना हो ये हो नहीं सकता. ईटीवी भारत की रिपोर्ट से जानें, ताजिया से अंतू साव का रिश्ता.

Antu Sao family made Tazia every year on occasion of Muharram in Hazaribag
हजारीबाग के अंतू साव का ताजिया (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 16, 2024, 8:02 PM IST

हजारीबागः प्राकृतिक सुंदरता से शराबोर हजारीबाग कौमी एकता के लिए भी पूरे देश में जाना जाता है. अंतू साव और उनकी छह पीढ़ी गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल कायम करती है. यहां मुहर्रम का जब ताजिया निकलता है, तो सबसे पहले उनके ही घर के सामने फातिहा पढ़ा जाता है. हजारीबाग के कटकमसांडी स्थित जलमा के अंतू साव का परिवार जाति, धर्म, संप्रदाय की नफरत से कहीं दूर यहां छह पीढ़ियों से ताजिया बना रहा है. अंतू साव के ताजिया के पीछे-पीछे पूरे गांव का ताजिया निकलता है. यह ताजिया गांव में घूमने के बाद कर्बला तक पहुंचता है.

खास है हजारीबाग के अंतू साव का ताजिया (ETV Bharat)

अंतू साव कहते हैं कि उनका गांव पूरे देश को आपसी एकता का पाठ पढ़ाता है. पिछले 6 पीढ़ी से ताजिया आपसी भाईचारा और प्रेम का संदेश लोगों को दे रहा है. अंतू साव का परिवार मुहर्रम के मौके पर ताजिया मिलान में मुसलमान भाइयों के संग शरीक भी होते हैं. अंतू साव के तीन बेटे अनिल साव, रंजीत साव राजू साव और पोता आर्यन भी ताजिया बनाना सीख रहे हैं. अंतू साव की उम्र 73 साल है लेकिन उत्साह में कमी नहीं है.

मुहर्रम को लेकर ताजिया बनाने में मोहम्मद शमी, मनोहर, सुधीर, शंकर, अंतू और जलेश्वर का अहम योदगान रहता है. वहीं रामावतार साहू जो ताजिया बनाने में काफी मशहूर थे, वह अब इस दुनिया में नहीं हैं. अंतू साव बताते हैं कि उनके पास तीन बड़े-बड़े गगनचुंबी निशान (झंडे) भी हैं. पहला झंडा उन्होंने 1980, दूसरा 2010 और तीसरा 2015 में खरीदा था. कहते हैं कि चांद देखने के बाद उनलोगों का परिवार खुदा की इबादत करता है. इमामबाड़ा में जाकर परिवार के लोग अगरबत्ती जलाते हैं. यह सिर्फ ताजिया नहीं है बल्कि मुसलमान भाइयों के प्रति उनके प्यार मोहब्बत का प्रतीक है. मोहम्मद शमी में बताते हैं कि 12 सालों से वह अंतू साव के घर जाकर ताजिया बना रहे हैं.

तजिया बनाने वाले शंकर बताते हैं कि वे लोग मिलकर आठ दिनों तक ताजिया बनाते हैं. नौवीं और 10वीं को ताजिया का जुलूस निकलता है. नौवीं के दिन अंतू साव के घर के सामने ही फातिहा होता है. उनके ताजिया के पीछे पीछे पूरा गांव का जुलूस निकलता है. गांव में ताजिया घूमने के बाद छड़वा मैदान पहुंचता है. मैदान में अंतू साव के ताजिया का जोरदार स्वागत होता है.

हजारीबाग के मोहर्रम जुलूस में निशान का भी खास महत्व है. 100 फीट से अधिक ऊंचा निशान छड़वा डैम पहुंचता है. स्थानीय बताते हैं कि निशान बनाने में काफी समय लगता है. गांव के 1 दर्जन से अधिक लोग निशान थाम कर छड़वा मैदान पहुंचते हैं. निशान लाने के लिए विशेष इंतजाम किया जाता है. इसके बाद मुस्लिम समाज के लोग मातमी धुन के साथ मोहरम जुलूस में शामिल होते हैं.

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