चंडीगढ़: केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी मिलने के बाद इसको लेकर राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी हो गया है. इस पर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस फैसले को अच्छा बताते हुए पूर्व की सरकारों पर भी निशाना साधा है.
"स्वागत योग्य फैसला है ये बिल" : अनिल विज ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन अच्छा फैसला है. आजादी के बाद फैसला लेना चाहिए था, लेकिन पूर्व की सरकारों नें ऐसा होने नहीं दिया. हर साल इलेक्शन होते रहते है, देश कुछ सोच नहीं सकता, विकास कार्य रुक जाते हैं. कई महीने तक कोड ऑफ कंडक्ट लगता है, काम रुक जाता है. आज जो फैसला हुआ है, वो स्वागत योग्य फैसला है. उन्होंने कहा कि नेहरू, इंदिरा या मनमोहन ने कभी देश को विकसित भारत बनाने की बात नहीं कही.
"कांग्रेस देश को पाषाण युग में ले जाना चाहती है" : वहीं, उन्होंने कांग्रेस द्वारा EVM को लेकर उठाये जा रहे सवाल पर कहा कि कांग्रेस देश को पाषाण युग में ले जाना चाहती है. कांग्रेस चाहती है जीत हार का फैसला पत्थर मारकर हो. हिंदुस्तान के लोग कांग्रेस से जानना चाहते हैं कि अगर EVM में कोई दिक्कत है तो बताएं कि कैसे EVM हैक होती है. चुनाव से पहले EVM मशीन चेक करवाई जाती है.
"निकाय चुनाव के लिए तैयार हैं": किसानों के दिल्ली कूच पर अनिल विज ने कहा कि सरकार किसानों से बातचीत करती है. सुप्रीम कोर्ट ने एक समिति बनाई है वो भी किसानों से बात कर रही है. वहीं उन्होंने निकाय चुनाव को लेकर कहा कि वे इसके लिए पूरी तरह से तैयार है, जल्द से जल्द चुनाव होने चाहिए.
"जॉर्ज सोरस की बात पर विपक्ष ने उपराष्ट्रपति पर उठा दिए सवाल" : वहीं उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के कांग्रेस के कदम पर उन्होंने कहा कि आज तक किसी भी दल ने उपराष्ट्रपति पर सवाल नहीं उठाये. जब दोनों सदनों में जॉर्ज सोरस की कांग्रेस के साथ मिलीभगत की बात उठाई गई तो उन्होंनें उपराष्ट्रपति पर सवाल उठा दिए.
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इस वर्ष सितंबर में देशव्यापी आम सहमति बनाने के बाद कुछ सिफारिशें की थीं. वन नेशन, वन इलेक्शन का उद्देश्य लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है.
वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर समिति की सिफारिशें
1. समिति के मुताबिक हर साल बार-बार चुनाव कराने से अर्थव्यवस्था, राजनीति और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसलिए इसने इस बोझ को कम करने के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की.
2. शुरुआती चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराए जाएंगे. दूसरे चरण में राज्य और लोकसभा चुनाव के 100 दिनों के भीतर नगरपालिका और पंचायत चुनाव कराए जाएंगे.