देहरादून: उत्तराखंड में पहली बार पक्षी अवलोकन के बाजार का आकलन होने जा रहा है. दरअसल दुनिया के कई देशों में इसे बर्ड वाचिंग इंडस्ट्री के रूप में स्थापित किया गया है. ऐसे में उत्तराखंड भी इस क्षेत्र में बड़ी संभावनाओं की उम्मीद के साथ नई रूपरेखा तैयार कर रहा है. खास बात यह है कि प्रदेश में पहले ही 15 से ज्यादा बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन मौजूद है. और अब बाकी कई जगहों को भी वन विभाग इसके लिए प्रमोट कर रहा है.
उत्तराखंड में यह पहला मौका है जब बर्ड वाचिंग को पर्यटन के रूप में बड़े स्तर पर स्थापित करने की कोशिश हो रही है. हालांकि दुनिया के कई देशों में पक्षी अवलोकन पहले से ही एक बड़े उद्योग के रूप में स्थापित है. लेकिन भारत में इसको लेकर बहुत ज्यादा कोशिश नहीं की गई है. ऐसे में अब उत्तराखंड बर्ड वाचिंग को एक बड़े पर्यटन के रूप में स्थापित करना चाहता है. प्रदेश में पिछले लंबे समय से बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया जा रहा है और इसके माध्यम से बर्ड वाचिंग के नए डेस्टिनेशन प्रमोट किए जा रहे हैं. 18 अक्टूबर से 20 अक्टूबर (3 दिन) तक मसूरी सेंचुरी के बिनोव में भी बर्ड फेस्टिवल मनाया गया, जहां देश भर के पक्षी प्रेमी पहुंचे.
बर्ड वाचिंग के लिए संभावित बाजार का होगा आकलन:उत्तराखंड में पहली बार पक्षी अवलोकन के लिए मौजूद बाजार का आकलन किया जाएगा. इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि प्रदेश में बर्ड वाचिंग की कितनी संभावनाएं हैं. इसके अलावा किन-किन क्षेत्रों में बर्ड वाचिंग को प्रमोट किया जा सकता है. फिलहाल उत्तराखंड में 15 बर्ड वाचिंग डेस्टिनेशन मौजूद हैं. इनमें मुख्य रूप से मुनस्यारी, पवलगढ़, देवलसारी, चौपता और पंगोट शामिल है.
बर्ड एक्सपर्ट के रूप में जाने जाते हैं धनंजय मोहन:उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया प्रमुख वन संरक्षक हॉफ डॉ धनंजय मोहन पक्षी विशेषज्ञ के रूप में जाने जाते हैं. देशभर के बड़े विशेषज्ञों में शुमार डॉ. धनंजय मोहन इस क्षेत्र में काफी समय से काम कर रहे हैं. डॉ. धनंजय मोहन बर्ड कंजर्वेशन पर एक किताब भी लिख चुके हैं. इसके अलावा 45 शोध पत्र भी उनके द्वारा लिखे जा चुके हैं. पक्षियों को लेकर उनकी विशेषज्ञता का फायदा बर्ड वाचिंग इंडस्ट्री के रूप में भी राज्य को मिलने जा रहा है.
डॉ. धनंजय मोहन ने बताया कि उन्होंने देशभर के कई अनुभवी बर्ड वाचर से बात की है और उनके सुझाव भी लिए हैं. कोशिश की जा रही है कि प्रदेश में बर्ड वाचिंग को बढ़ाने के लिए कुछ बड़े कदम उठाए जाएं ताकि यूरोप के देशों में जिस तरह से बर्ड वाचिंग एक इंडस्ट्री के रूप में स्थापित हुई है. इस तरह से उत्तराखंड में भी देश और दुनिया भर के बर्ड वाचर्स पहुंच सके.
यूरोप के कई देशों में बर्ड वाचिंग एक टूरिज्म इंडस्ट्री के रूप में स्थापित:हालांकि भारत में बर्ड वाचिंग को लेकर लोगों का कम ही रुझान दिखता है और इस पर राज्य सरकारों द्वारा ज्यादा प्रयास भी नहीं किए गए हैं. लेकिन यूरोप के कई देशों में आज बर्ड वाचिंग एक इंडस्ट्री के रूप में स्थापित हुआ है. इस मामले में यूनाइटेड किंगडम सबसे बड़ा बाजार है, जबकि जर्मनी और नीदरलैंड में भी बर्ड वाचिंग पर्यटन बड़ी संख्या में होता है. बर्ड्स काउंट इंडिया (Birds count India) की रिपोर्ट के अनुसार, बर्ड वाचिंग पर्यटन में कई बिलियन डॉलर का बाजार खड़ा कर लिया गया है. अमेरिका में बर्ड्स वाचिंग इंडस्ट्री का बाजार हर साल 8 बिलियन यूएस डॉलर का हो चुका है. उधर भारत की बात करें तो प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन के अनुसार 2015 की एक रिपोर्ट में 45 हजार बर्ड वाचर थे, जो 2025 तक देश में 2 करोड़ होने की उम्मीद है.