रायपुर:छत्तीसगढ़ के किसानों को आंवला की खेती करते समय कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए. आंवले की किस्मों में कृष्णा और कंचन शामिल हैं. ये नरेंद्रदेव कृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद से निकली हुई किस्में हैं. आंवले की खेती करते समय किसानों को इस बात का ध्यान रखना जरूरी होता है. आंवले की फसल को पानी की कम आवश्यकता होती है. सबसे अनुपयोगी जमीन, जिसे परत भूमि के नाम से जाना जाता है, वहां पर आंवला की खेती की जा सकती हैं.
आंवले की खेती में रखें ध्यान: आंवले की खेती को लेकर ईटीवी भारत ने अधिक जानकारी के लिए रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ घनश्याम साहू से बातचीत की. कृषि वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम साहू ने बताया कि, "उपरोक्त 4 किस्मों को लगाकर प्रदेश के किसान आंवला की खेती अच्छे से कर सकते हैं. छत्तीसगढ़ के किसानों को खेतों की मेड़ पर खासतौर पर आंवला के पौधे का रोपण किया जाना चाहिए. खेतों के मेड़ पर आंवले का पौधा लगाने से खेत का इको सिस्टम भी अच्छा रहेगा. पांचवें वर्ष से आंवला पेड़ फल देना शुरू कर देगा. इससे प्रदेश के किसानों को अतिरिक्त आय होगी. आंवले की खेती करते समय किसानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि आंवले की खेती करने के लिए कतार से कतार की दूरी 6 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 6 मीटर होनी चाहिए. आंवला बहूवर्षीय फसल है."