कानपुर : पिछले कुछ वर्षों से जानकारी सामने आई है कि लगातार साइबर अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. उन साइबर अपराधों में जहां पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी शामिल है, इलेक्ट्रॉनिक वर्ल्ड वार है, सप्लाई चैन सिक्योरिटी है और इसके साथ-साथ जो विदेशी गतिविधियों के चलते भारतीय संस्थानों में साइबर अटैक होते हैं उनसे कहीं ना कहीं नुकसान हो रहा है. इसका खामियाजा यहां काम करने वाले व रहने वाले लोगों को भुगतना पड़ता है, हालांकि अब इसके लिए अमेरिका के विशेषज्ञ आईआईटी कानपुर पहुंच चुके हैं और वह बुधवार से लेकर आगामी 25 अक्टूबर तक उक्त विषयों पर ही अपनी ओर से नई जानकारियां आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर व एक्सपर्ट के साथ साझा करेंगे. आईआईटी कानपुर में बुधवार को सीथ्री आई हब की ओर से एक कार्यशाला आयोजित की गई. जिसका विषय इमर्जिंग ट्रेंड्स इन साइबर सिक्योरिटी रखा गया था.
आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रोफेसर ने दी कई जानकारियां : आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. और सीथ्री आईहब के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संदीप शुक्ला ने बताया चार दिनों की कॉन्फ्रेंस में हम चार अलग-अलग विषयों पर अमेरिका के विशेषज्ञों संग संवाद करेंगे, जिसमें सबसे पहले-एडवांस परसिस्टेंस पर बात होगी. यह एक ऐसा विषय है जिसमें जो हमारे देश की गतिविधियां होती हैं, उसमें विदेशों से कई बार साइबर अटैक होते हैं. उस समय हमें यह देखना होता है कि आखिर किस वायरस की वजह से साइबर अटैक हुआ है? और उसे कैसे डिटेक्ट करना है? यानी उसकी पहचान कैसे करनी है? इसी तरीके से पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफ़ी पर भी बात होगी. क्रिप्टोग्राफी की ब्राउजिंग को लेकर कई तरीके की दिक्कतें सामने आती हैं, जिसमें कहीं ना कहीं यह बात होती है कि उसमें भी वायरस का अटैक होता है. फिर क्रिप्टोग्राफी की वजह से बहुत अधिक गतिविधियां प्रभावित भी हो जाती हैं.