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भीलवाड़ा में प्रोग्रेसिव फार्मिंग का कमाल, इजरायली तकनीक से हो रही उन्नत खेती - इजरायली तकनीक से खेती

Israeli Technology Farming, राजस्थान में भीलवाड़ा के एक निजी फार्म हाउस में लगभग 10 ग्रीन हाउस लगे हुए हैं, जिनमें आधुनिक नवाचार के साथ पानी व नारियल के छिलकों से बने कोकोपीट में सब्जियों का उत्पादन से लाखों रुपये का मेंहनताना कमाया जा रहा है. इस नई कृषि पद्धति को सीखने व देखने के लिए दूर-दूर से किसान, विद्यार्थी और अधिकारीगण आ रहे हैं. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Progressive Farming In Bhilwara
इजरायली तकनीक से हो रही उन्नत खेती

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 8, 2024, 11:27 AM IST

भीलवाड़ा में प्रोग्रेसिव फार्मिंग का कमाल

भीलवाड़ा. बदलते वक्त के साथ तकनीक किसानों की तकदीर भी बदल रहा है. भीलवाड़ा में एक ऐसे फार्म से ईटीवी भारत की टीम रूबरू हुई, जहां नवाचार से खेती की जा रही है. किसानों को भी इस तकनीक से खेती करने के लिए जागरूक किया जा रहा है. ये तकनीक है इजरायल कृषि पद्धति, राजस्थान में इससे ना सिर्फ पानी बचाने का समय संदेश दिया जा रहा है, बल्कि अपनी आमदनी को भी मजबूत किया जा रहा है. खास बात यह है कि इस जैविक खेती से पानी में उगाई गई सब्जियों के मुरीद राजस्थान से बाहर के भी लोग हैं. वहीं, इस फार्म में युवा, महिला, किसान व अधिकारी भी खेती तकनीक को समझने के लिए दूर-दूर से पहुंच रहे हैं.

बिना मिट्टी पानी के की जा रही खेती : देश-विदेश में वस्त्रनगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में कपड़ा इण्डस्ट्री के साथ-साथ अब खेती (किसानी) में भी नवाचार किए जा रहे हैं. शहर के पास स्थित कपड़े के कारोबारी व समाजसेवी रामपाल सोनी के एग्रीकल्चर फार्म में ऐसा एक नवाचार किया जा रहा है. इसको देखने के लिए विद्यार्थी, किसान सहित आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी आ रहे हैं, जो इस तकनीक से रूबरू होते हैं.

इस निजी फार्म हाउस में लगभग 10 ग्रीन हाउस लगे हुए हैं, जिनमें आधुनिक नवाचार के साथ पानी व नारियल के छिलकों से बने कोकोपीट में सब्जियों का उत्पादन से लाखों रुपये का मेहनताना कमाया जा रहा है. फार्म में इजरायली तकनीक से बिना मिट्टी पानी से खेती की जा रही है. इस फार्म में देश-विदेश की करीब 30 तरह की सब्जियों और फलों की खेती की जा रही है. इनसे होने वाले उत्पादन को भीलवाड़ा के साथ ही दिल्ली, गुजरात, मुम्बई के कईं शहरों तक भेजा जा रहा है. इसके माध्यम से ऑफ सीजन में भी सभी तरह की सब्जियों से उपज ली जा सकती है.

इस एग्रीकल्चर फार्म में एक स्टेंड बनाया गया है, जिससे लगातार पानी बहता रहे और पौधों को कैल्शियम, मैग्निशियम, सल्फर, आयरन के साथ कई अन्य पौषक तत्व मिलते रहें. इस विधि से पानी की 80 प्रतिशत बचत भी हो जाती है. फार्म हाउस का तापमान 15 से 32 डिग्री सेल्सियस तक रखा जाता है.

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इस फार्म हुउस को संभाल रही एग्रोनॉमिस्ट छात्रा कुमुद चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का देश के किसानों को सशक्त बनाने का सपना है. हमने भी एग्रीकल्चर फार्म में एक नवाचार किया है, जिसमें मिट्टी का उपयोग न करके नारियल के भूसे से बनाए कोकोपीट का उपयोग किया जा रहा है. कोकोपीट व पानी में सब्जियां उगाई जा रही हैं. छात्रों को शिक्षित भी कर रहे हैं, जिससे कि भविष्य में उन्नत खेती की जा सके. हम चाहते हैं कि कृषि को एक व्यवसायिक दर्जा प्रदान कर ज्यादा से ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सके. इसको लेकर हम नित नए प्रयोग करते आ रहे हैं. इस फॉर्म की तकनिक इजराइल देश से ली गई है. कम जगह व कम पानी से अधिक से अधिक उपज प्राप्त की जाती है. हमने यहां पर टमाटर, स्ट्रोबेरी, कुकुम्बर, शिमला मिर्च, खीरा ककड़ी के साथ कई फसलें लगाई है, जिसके हमें काफी अच्छे परिणाम मिले हैं.

फसलों में नहीं लगते कीटाणु : एनएफटी सिस्टम के जरिए हम पानी में लेट्स ग्रो करते हैं. साथ ही किसानों से यही अपील करती हूं कि लोग अच्छा उत्पादन लेने के लिए नवाचार के साथ कृषि करें. ग्रीन हाउस को शुरू करने के दौरान खर्चा जरूर ज्यादा आता है, लेकिन बाद में अच्छा मेहनताना मिलता है. इसमें कीटनाशक का उपयोग नहीं होता है, क्योंकि ग्रीन हाउस में उगाई गई फसलों में कीटाणु रोग नहीं होता है.

कम पानी में अधिक उत्पादन : इसी नवाचार युक्त खेती को देखने आए सरकारी विद्यालय की कक्षा 12 के छात्र राजेश रेगर ने कहा कि मैं नजदीकी गांव से यहां विद्यालय के छात्रों के साथ आया हूं. मुझे अच्छा लगा कि कम पानी में अच्छा उत्पादन किया जा सकता है. मैंने संदेश लिया है कि इस नवाचार को मैं मेंरे पिताजी को दिखाऊंगा, जिससे पिताजी भी कम पानी में अच्छा उत्पादन ले सकेंगे.

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खाद व दवाइयों का नहीं होता उपयोग : वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हरेंद्र महावर अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे, जहां प्रत्येक ग्रीनहाउस के फील्ड में पौधे व सब्जियों को देखने के बाद उन्होंने कहा कि यहां की फार्मिंग अच्छी है. यहां विकसित ऑर्गेनिक फार्मिंग के साथ किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम किया जा रहा हैं. वास्तव में काबिले तारीफ काम है. साइंटिफिक व मैनेजमेंट तरीके से काम किया जा रहा है. वहीं, आईपीएस महावर की पत्नी सुधा ने कहा कि इस फार्म का किसान भी अवलोकन कर रहे हैं. इसमें खाद व दवाइयों का उपयोग नहीं किया जाता. यहां फार्मिंग के साथ-साथ एपीकल्चर भी डवलप किया गया है. मैं किसानों से अपील करना चाहती हूं कि किसान यहां ट्रेनिंग लें.

स्ट्रोबेरी का होता है अच्छा उत्पादन : संगम फॉर्म में लगभग 10 ग्रीन हाउस के अलावा दूसरी कई तरह की सब्जियों का उत्पादन किया जा रहा है. यहां प्रतिदिन 500 किलो स्ट्रॉबेरी का उत्पादन होता है. फॉर्म में 80 मजदूर काम करते हैं, जहां स्ट्रॉबेरी को 250 ग्राम के डिब्बों में पैक कर बाहर भेजा जाता है. 1 किलो स्ट्रॉबेरी 200 से 250 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है. अब जरूरत है देश में इसी तरह किसानों को आधुनिक नवाचार के साथ कम पानी में जैविक खेती करने की.

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