छिन्दवाड़ा।एमपी के छिंदवाड़ा की अमरवाड़ा सीट के लिए कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है. उपचुनाव में कांग्रेस ने धीरनशा इनवाती को उम्मीदवार बनाया है. अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव के लिए आदिवासियों की आस्था से जुड़े आंचल कुंड दरबार के छोटे महाराज धीरनशा इनवाती को कांग्रेस ने चुना है.महाराज धीरनशा राजनीतिक रूप से अब तक सक्रिय नहीं थे. वह कोऑपरेटिव सोसाइटी में नौकरी भी करते थे.
आखिर क्यों नए चेहरे को मैदान में लाई कांग्रेस
आंचलकुंड धाम आदिवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के अलावा छिंदवाड़ा जिला और आसपास के जिले के आदिवासी की यहां विशेष आस्था है. माना जाता है कि यहां के कुंड की भभूति से लोगों के कष्ट दूर होते हैं, इसलिए धीरनशा का परिवार राजनीतिक रूप से तो नहीं लेकिन धार्मिक रूप से आदिवासियों में खासी पैठ रखता है.
कांग्रेस का आदिवासी आस्था का कार्ड
आंचलकुंड धाम में खंडवा के दादाजी धूनीवाले केशवानंद जी महाराज और हरिहर महाराज ने आकर अपने भक्त कंगाल दास बाबा को दर्शन दिए थे. वहीं अपने हाथों से यहां धूनी जलाने कहा था. करीब 200 साल पहले आंचलकुंड धाम की स्थापना कंगाल दास बाबा ने की थी. उनकी चौथी पीढ़ी अब सेवादार के रूप में यहां पर है. फिलहाल सुखराम बाबा यहां के मुख्य सेवादार हैं. उनके बेटे धीरनशा पर कांग्रेस ने दांव खेला है, अगर कांग्रेस का आदिवासी आस्था का कार्ड काम कर जाता है तो बीजेपी को जीतने के लिए काफी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
अमरवाड़ा में होगा त्रिकोणीय मुकाबला
अमरवाड़ा विधानसभा में हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला होता है. निर्णायक भूमिका में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी रहती है. इस बार भी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष और युवा नेता देवरावेन भलावी ने पर्चा दाखिल किया है. वहीं बीजेपी से कमलेश प्रताप शाह मैदान में है. कमलेश प्रताप शाह लगातार कांग्रेस से तीन बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने बीजेपी में जाकर विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था. अब कांग्रेस ने राजनीति से दूर रहे आदिवासियों के आस्था का प्रमुख केंद्र आंचलकुंड दादा दरबार के मुख्य सेवादार के बेटे को मैदान में उतारा है, ताकि आदिवासियों की आस्था का फायदा कांग्रेस को मिल सके.