प्रयागराज :तथ्य छुपाकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करना याची को भारी पड़ गया. कोर्ट ने न सिर्फ याचिका खारिज कर दी बल्कि याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपए का हर्जाना भी लगा दिया. कोर्ट ने हर्जाने की राशि अनाथ बच्चों के उपयोग में लाने के निर्देश दिए हैं.
रामपुर के इंदर सिंह मेहता की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की खंडपीठ ने दिया. जनहित याचिका दाखिल कर याची ने एसडीएम बिलासपुर की ओर से 25 अक्टूबर 2021 को पारित आदेश को लागू करवाने की मांग की. इस आदेश में एक विवादित भूमि से अनधिकृत कब्जा हटाने का निर्देश था.
याची ने इससे पूर्व भी इसी मामले में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस पर हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारी को निर्णय लेने का आदेश दिया था. एसडीएम द्वारा आदेश दिए जाने के बाद उसे लागू करवाने के लिए दोबारा याचिका दाखिल की गई. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने याची के अधिवक्ता से विशेष रूप से यह सवाल किया की क्या याचिकाकर्ता का विपक्षी कब्जा धारक से कोई संबंध है.
याचिकाकर्ता की ओर से स्पष्ट रूप से कहा गया कि उसका विपक्षी से कोई संबंध नहीं है. उसने यह याचिका सिर्फ लोक कल्याण के उद्देश्य से दाखिल की है. कोर्ट ने जब 25 अक्टूबर के एसडीएम बिलासपुर के आदेश को देखा तो पता चला कि याची और विपक्षी आपस में रिश्तेदार हैं. याची रिश्ते में विपक्षी का ताऊ लगता है. उसने अपने भतीजे को उक्त जमीन से बेदखल करने के लिए याचिका दाखिल की थी.
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों की नजीरें प्रस्तुत करते हुए कहा कि व्यक्ति को अदालत में स्वच्छ इरादे से आना चाहिए. तथ्य छुपाकर या अदालत को गुमराह करके आदेश प्राप्त करने के लिए दाखिल याचिका को हर्जाने के साथ खारिज करना चाहिए.
कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याची पर 25 हजार का हर्जाना लगाया है. डीएम रामपुर को निर्देश दिया है कि वह याची से यह इस धन राशि को वसूल कर हाईकोर्ट के महानिबंधक के खाते में जमा करें. महानिबंधक इस धनराशि को राजकीय बल गृह शिशु खुल्दाबाद के खाते में स्थानांतरित करें. उसकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करें.
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