प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शादी का झांसा देकर महिला से शारीरिक संबध बनाने के आरोप में चल रही आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से याचिका पर जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी ने अरविंद राजभर की याचिका पर अधिवक्ता चंद्र कांत त्रिपाठी की दलीलों को सुनकर दिया है.
एडवोकेट त्रिपाठी का कहना है कि पीड़िता ने रेप के आरोप में शिकायत की. पुलिस ने आईपीसी की धारा 406 के अंतर्गत आरोप पत्र दाखिल किया. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मऊ ने उस पर संज्ञान लेकर आरोपी को सम्मन जारी किया. आरोपी के हाजिर न होने पर कुर्की सहित गिरफ्तारी वारंट जारी किया है, जिसे याचिका में चुनौती दी गई है.
याची के अधिवक्ता का कहना है कि झूठे आरोप लगा याची को केवल परेशान करने के लिए एफआईआर दर्ज की गई है. याची पर आरोप है कि शारीरिक संबंध बनाया और दूसरी लड़की से शादी कर लिया. सभी आरोप निराधार हैं. पीड़िता ने रेप की शिकायत की लेकिन पुलिस ने मनमाने तौर पर धारा 406 में चार्जशीट दाखिल की है और अदालत ने न्यायिक विवेक का इस्तेमाल किए बगैर संज्ञान ले लिया है.
मंगलवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे हाईकोर्ट के वकील: इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक के विरोध में यूपी बार कौंसिल के आह्वान पर मंगलवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. यह निर्णय हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में लिया गया. संयुक्त सचिव प्रेस पुनीत शुक्ल के अनुसार बैठक में 24 फरवरी को सामान्य दिनों की तरह कार्य करने और 25 फरवरी को यूपी बार कौंसिल के आह्वान पर न्यायिक कार्य से विरत होकर प्रस्तावित अधिवक्ता संशोधन विधेयक का विरोध जताने का निर्णय लिया गया है.
बैठक में उपाध्यक्ष अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी, अखिलेश कुमार मिश्र सुभाष चंद्र यादव व नीलम शुक्ला, संयुक्त सचिव सुमित कुमार श्रीवास्तव, अभिजीत कुमार पांडेय व आंचल ओझा, कोषाध्यक्ष रणविजय सिंह, गवर्निंग काउंसिल सदस्य उदिशा त्रिपाठी, किरन सिंह, अभिषेक मिश्र, अवधेश मिश्र, अभिषेक तिवारी, दिनेश यादव, सर्वेश्वर लाल श्रीवास्तव आदि उपस्थित रहे.
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