प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने कहा कि पत्नी द्वारा पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ झूठा आपराधिक मुकदमा दर्ज कराना पति के साथ क्रूरता है. झूठा मुकदमा दर्ज होने से पति के दिमाग में उसके खुद की और परिवार की सुरक्षा को लेकर आशंका उत्पन्न होना स्वाभाविक है. इसलिए इस प्रकार का झूठा मुकदमा हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत क्रूरता साबित करने के लिए पर्याप्त आधार है.
कानपुर नगर की तृप्ति सिंह की अपील खारिज करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति एसडी सिंह और न्यायमूर्ति डी रमेश की खंडपीठ ने दिया. अपीलार्थी तृप्ति सिंह की शादी 2002 में अजातशत्रु के साथ हुई थी. शादी के बाद उनके एक बेटा भी हुआ. पत्नी ने 2006 में पति को छोड़ दिया. इसके बाद पति ने परिवार न्यायालय कानपुर में तलाक का मुकदमा दाखिल किया. इसके बाद पत्नी ने पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज करा दिया.
इन आरोपों के कारण पति और उसके परिवार के सदस्यों को जेल जाना पड़ा. वह बाद में जमानत पर छूटे. परिवार न्यायालय कानपुर ने पति की तलाक की अर्जी स्वीकार करते हुए तलाक की डिक्री दे दी. इसे पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने शादी के 6 साल बाद दहेज की मांग का मुकदमा दर्ज कराया. यह केस पति के तलाक की अर्जी दाखिल करने पर दर्ज कराया गया. हालांकि वह अपने आरोपों को साबित नहीं कर पाई और उसके पति तथा परिवार के लोग बरी हो गए.