प्रयागराज :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसपी कौशाम्बी बृजेश कुमार श्रीवास्तव को अवमानना के एक मामले में नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने उन्हें छह सितंबर 2024 के आदेश का अनुपालन हलफनामा दाखिल करने या चार मार्च को उपस्थित होने का निर्देश दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने रसूलपुर बड़ागांव निवासी शिव कुमार की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता अशोक कुमार श्रीवास्तव व शबाना आजमी को सुनकर दिया है. अधिवक्ता का कहना है कि कौशाम्बी थाने के दारोगा दिलीप कुमार व कांस्टेबल सौरभ याची को बेवजह परेशान कर रहे हैं और मारा पीटा है. साथ ही इसकी एफआईआर भी नहीं दर्ज की जा रही थी. कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट सहित मारपीट के आरोप में एफआईआर दर्जकर कार्रवाई करने का आदेश दिया था. उसके बाद एफआईआर दर्ज कर ली गई, लेकिन आरोपी पुलिसवालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. आदेश का पूरी तरह से पालन न किए जाने पर माह अवमानना याचिका की गई है.
रेप और पॉक्सो में सजा पाए अभियुक्त को सशर्त जमानत :इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चित्रकूट के बरगढ़ थाने के रेप व पॉक्सो एक्ट के मामले में सजा पाए अभियुक्त सरदारी लाल की जमानत याचिका सशर्त स्वीकार कर ली है. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव सिंह ने याची के अधिवक्ता शरदेंदु मिश्र, जयशंकर मिश्र और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.
याची को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो अधिनियम चित्रकूट ने बरगढ़ थाने में आईपीसी की धारा 363, 366 और पॉक्सो अधिनियम 2012 की धारा 4 के तहत मामले में सेशन ट्रायल के बाद 11 जुलाई 2024 को 10 वर्ष कैद की सजा सुनाई. इसके विरुद्ध अपील दाखिल की गई और उसमें दाखिल जमानत याचिका पर याची के अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ ने कहा कि याची को इस मामले में झूठा फंसाया गया है. पीड़िता ने जिरह में स्पष्ट रूप से कहा कि याची उसे बहला फुसलाकर नहीं ले गया था. वह अपनी मर्जी से घर से निकल कर याची के पास गई थी. इसे ट्रायल कोर्ट ने सही दृष्टिकोण में नहीं माना और इसलिए याची को दोषी ठहराया गया. यह भी तर्क दिया गया कि ट्रायल के दौरान याची जमानत पर था और कभी भी जमानत का दुरुपयोग नहीं किया. निकट भविष्य में अपील के निस्तारण की संभावना नहीं है, इसलिए याची जमानत का हकदार है.
कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील ने जमानत की प्रार्थना का विरोध किया, लेकिन इस तथ्य का खंडन नहीं कर सके कि जिरह में पीड़िता ने कहा कि उसे याची ने नहीं बुलाया था. साथ ही जमानत याचिका सशर्त स्वीकार कर ली. कोर्ट ने अन्य शर्तों के साथ याची को जुर्माने की धनराशि तीन माह में जमा करने का निर्देश भी दिया है.
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