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अक्षय तृतीया : गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुरजी को लगाया चंदन का लेप, कलंगी का शृंगार किया - Akshaya Tritiya in jaipur - AKSHAYA TRITIYA IN JAIPUR

अक्षय तृतीया के अवसर पर शुक्रवार को शहर के आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में ठाकुरजी को चंदन की सेवा कर नवीन केसरिया धोती दुपट्टा धारण कराया गया और सिर पर कलंगी का शृंगार किया गया. साथ ही भगवान को शीतल व्यंजन सत्तू, भीगी हुई चना दाल, पंचमेवा के साथ ऋतुफल आम, ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूजा का भोग लगाया गया.

Sandalwood paste applied to Thakurji in Jaipur's Govind Dev Ji temple.
जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुरजी को चंदन का लेप लगाया (photo etv bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 10, 2024, 3:23 PM IST

जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में ठाकुरजी को चंदन का लेप लगाया (video etv bharat jaipur)

जयपुर.छोटी काशी के विष्णु मंदिरों में अक्षय तृतीया भक्ति भाव से मनाई जा रही है. मंदिरों में सुबह से विशेष पूजा अर्चना और झांकियों का दौर शुरू हुआ. वहीं, शहर के आराध्य गोविंद देवजी में ठाकुरजी को गर्मी से बचाने के लिए चंदन का लेप लगाया गया. श्रीजी को शीतलता प्रदान करने के लिए उनके समक्ष फव्वारे की सेवा भी शुरू की गई. इस दौरान बड़ी संख्या में भक्त भगवान के दर्शन करने पहुंचे और उन्हें बिजना (लकड़ी का बुना हाथ का पंखा) और ऋतु फल अर्पित किए.

यहां मंदिर परिसर में मौजूद कथावाचक पंडित यज्ञेश मिश्रा ने बताया कि अक्षय का मतलब होता है. किसी भी तरह का क्षय न होना. इसे समृद्धि, आशा और सफलता के रूप में देखा जाता है. सनातन धर्म में भगवान के 24 अवतारों में से एक भगवान परशुराम का भूमंडल पर अवतरण दिवस भी अक्षय तृतीया पर ही हुआ था. वहीं, शास्त्रों के अनुसार आज गंगा का अवतरण दिवस भी माना जाता है. नर नारायण का अवतार भी आखातीज पर ही होता है.

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बद्रीनाथ की स्थापना आखातीज को:पंडित यज्ञेश मिश्रा ने बताया कि आज तीर्थ गुरु शंकराचार्य ने उत्तराखंड में बद्रीनाथ की स्थापना की थी. आज ही के दिन वहां कपाट भी खुलते हैं. इसी दिन वृंदावन धाम में बांके बिहारी जी में श्री हरिदास जी ने भगवान के चरण दर्शन किए थे. तब से ये परंपरा बनी हुई है कि साल में एक बार बिहारी जी के चरणों के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होता है.

जलदान का है महत्व:पंडित मिश्रा ने बताया कि अक्षय तृतीया पर जलदान का बड़ा महत्व होता है. शीतल पेय पदार्थ लोग दान कर सकते हैं. चूंकि वैशाख के महीने को पवित्र महीना है. इस दौरान गर्मी भी तेज रहती है. ऐसे में जलदान का महत्व और बढ़ जाता है. गरुड़ पुराण के अनुसार इस दौरान पितरों के लिए जो जलदान किया जाता है, उससे उन्हें शीतलता मिलती है. आपको बता दें​ कि इस बार ग्रहों के संयोग को देखते हुए अक्षय तृतीया पर भरा हुआ जल पात्र, मिठाई, सफेद कपड़े, नमक, शरबत, चावल और चांदी का दान बेहद शुभदायी होगा.

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