ETV Bharat / state

नागोरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव जारी, उमड़ी भक्तों की भारी भीड़ - BRAHMOTSAV IN NAGAURIA MATH

नागोरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव जारी है.

भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव
भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव (ETV Bharat Didwana Kuchaman)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 3, 2025, 10:29 AM IST

डीडवाना कुचामन : शहर के झालरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव जारी है. इस ब्रह्मोत्सव में भाग लेने के लिए भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है. देशभर से श्रद्धालु यहां आ रहे हैं. यहां आने वाले भक्तजन प्रबन्धपाठ, स्त्रोतपाठ, संकीर्तन और तिरूमंजन, अभिषेक, आरती, भजन कीर्तन जैसे कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं.

ये होती है लीला : नागोरिया मठ पीठाधीश्वर अनंत विभूषित स्वामी श्रीविष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने प्रणय कलह लीला के महत्व को समझाते हुए कहा कि इस लीला के माध्यम से भगवान ने सांसारिक जीवन जीने की प्रेरणा दी है. लीला का वृतांत दृश्य बताते हुए महाराज ने बताया कि भक्तजन दो भागों में विभाजन होकर एक पक्ष मां लक्ष्मी की ओर हो जाता है तो दूसरा भगवान विष्णु की ओर. जब भगवान विष्णु बैकुंठ में प्रवेश करते हैं तो लक्ष्मी दरवाजा बंद कर लेती हैं और भगवान से रूठ जाती हैं.

भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव जारी (ETV Bharat Didwana Kuchaman)

पढ़ें. झालरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव शुरू, सात दिन तक चलेगा आयोजन

शास्त्र मतों के अनुसार भगवान विष्णु भक्तों की रक्षा के लिए लक्ष्मी को बताए बगैर बैकुंठ लोक से रात्रि को चले जाते हैं. प्रातःकाल जब भगवान विष्णु क्रीड़ागृह पहुंचते हैं तो देखते हैं कि लक्ष्मीजी ने दरवाजे बंद कर दिए. जब आवाज देते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता है. पूरी बात बताते हुए आखिर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को मनाते हैं.

नागोरिया मठ 591 वर्ष पुराना : दरअसल, रामानुज संप्रदाय की मठ परंपरा के दो प्राचीन मठ नागोरिया मठ और झालरिया मठ मौजूद हैं. दोनों ही मठ सैकड़ों साल पुराने हैं. दोनों ही विरक्त गद्दियां हैं और देशभर में इनकी अनेक शाखाएं मौजूद हैं. नागोरिया मठ 591 वर्ष पुराना है. इस मठ की देशभर में कई शाखाएं मंदिरों के रूप में मौजूद हैं. यह मठ दक्षिण भारत के तोताद्री पीठ से संबंध रखता है. इस मंदिर में सैकड़ों सालों से गुरु परंपरा चली आ रही है, जिनके सैकड़ों शिष्य शिक्षा-दीक्षा धारण करते हैं.

इस मंदिर में हर साल ब्रह्मोत्सव आयोजित किए जाते हैं. इस ब्रह्मोत्सव में 7 दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते हैं. इसके तहत भगवान जानकीनाथ का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भगवान चन्द्रप्रभा वाहन, शेष वाहन, कल्पवृक्ष, गरुड़ वाहन, हनुमान वाहन, पुष्पक विमान आदि पर विराजित होकर मंदिर परिसर का भ्रमण करते हैं और भक्तों को दिव्य दर्शन देते हैं.

डीडवाना कुचामन : शहर के झालरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का सात दिवसीय ब्रह्मोत्सव जारी है. इस ब्रह्मोत्सव में भाग लेने के लिए भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है. देशभर से श्रद्धालु यहां आ रहे हैं. यहां आने वाले भक्तजन प्रबन्धपाठ, स्त्रोतपाठ, संकीर्तन और तिरूमंजन, अभिषेक, आरती, भजन कीर्तन जैसे कार्यक्रमों में भी भाग लेते हैं.

ये होती है लीला : नागोरिया मठ पीठाधीश्वर अनंत विभूषित स्वामी श्रीविष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज ने प्रणय कलह लीला के महत्व को समझाते हुए कहा कि इस लीला के माध्यम से भगवान ने सांसारिक जीवन जीने की प्रेरणा दी है. लीला का वृतांत दृश्य बताते हुए महाराज ने बताया कि भक्तजन दो भागों में विभाजन होकर एक पक्ष मां लक्ष्मी की ओर हो जाता है तो दूसरा भगवान विष्णु की ओर. जब भगवान विष्णु बैकुंठ में प्रवेश करते हैं तो लक्ष्मी दरवाजा बंद कर लेती हैं और भगवान से रूठ जाती हैं.

भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव जारी (ETV Bharat Didwana Kuchaman)

पढ़ें. झालरिया मठ में भगवान जानकीनाथ का ब्रह्मोत्सव शुरू, सात दिन तक चलेगा आयोजन

शास्त्र मतों के अनुसार भगवान विष्णु भक्तों की रक्षा के लिए लक्ष्मी को बताए बगैर बैकुंठ लोक से रात्रि को चले जाते हैं. प्रातःकाल जब भगवान विष्णु क्रीड़ागृह पहुंचते हैं तो देखते हैं कि लक्ष्मीजी ने दरवाजे बंद कर दिए. जब आवाज देते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता है. पूरी बात बताते हुए आखिर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी को मनाते हैं.

नागोरिया मठ 591 वर्ष पुराना : दरअसल, रामानुज संप्रदाय की मठ परंपरा के दो प्राचीन मठ नागोरिया मठ और झालरिया मठ मौजूद हैं. दोनों ही मठ सैकड़ों साल पुराने हैं. दोनों ही विरक्त गद्दियां हैं और देशभर में इनकी अनेक शाखाएं मौजूद हैं. नागोरिया मठ 591 वर्ष पुराना है. इस मठ की देशभर में कई शाखाएं मंदिरों के रूप में मौजूद हैं. यह मठ दक्षिण भारत के तोताद्री पीठ से संबंध रखता है. इस मंदिर में सैकड़ों सालों से गुरु परंपरा चली आ रही है, जिनके सैकड़ों शिष्य शिक्षा-दीक्षा धारण करते हैं.

इस मंदिर में हर साल ब्रह्मोत्सव आयोजित किए जाते हैं. इस ब्रह्मोत्सव में 7 दिनों तक विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम होते हैं. इसके तहत भगवान जानकीनाथ का अलग-अलग स्वरूपों में श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भगवान चन्द्रप्रभा वाहन, शेष वाहन, कल्पवृक्ष, गरुड़ वाहन, हनुमान वाहन, पुष्पक विमान आदि पर विराजित होकर मंदिर परिसर का भ्रमण करते हैं और भक्तों को दिव्य दर्शन देते हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.