अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष दुष्कर्म मामले में पीड़िता के हुए बयान अजमेर.अजमेर सरस डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. चौधरी के खिलाफ दर्ज प्रकरण में सीआईडी सीबी की ओर से लगाई गई एफआर के विरुद्ध पीड़िता ने कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दायर की है. इस क्रम में बुधवार को पीड़िता के बयान भी हुए हैं. पीड़ित पक्ष का आरोप है कि सीआईडी सीबी ने वॉइस सैम्पल के लिए पीड़िता को कोई नोटिस नहीं दिया और पीड़िता के वॉइस सैम्पल में सहयोग नहीं करने का हवाला देकर प्रकरण में एफआर लगा दी, जो सरासर गलत है.
पीड़ित पक्ष के वकील नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 23 अक्टूबर, 2019 में अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के खिलाफ रामगंज थाने में धारा 376 में सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस प्रकरण में रामगंज थाना पुलिस ने जांच में रामचंद्र चौधरी को धारा 354 (अश्लील छेड़छाड़) के तहत दोषी माना. राठौड़ ने कहा कि रामचंद्र चौधरी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इस प्रकरण की जांच को सीआईडी सीबी में स्थानांतरित करवा दिया.
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पीड़िता और रामचंद्र चौधरी के बीच हुई बातचीत की वॉइस रिकॉर्डिंग पीड़िता ने प्रकरण में पेश की थी. उसका वॉइस सैम्पल पीड़िता ने नहीं दिया. इस बात को लेकर सीआईडी सीबी ने प्रकरण में एफआर पेश की थी. सीआईडी सीबी की ओर से लगाई गई एफआर को पीड़िता ने अजमेर न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट संख्या 5 में चुनौती दी है. इस क्रम में बुधवार को पीड़िता के बयान भी दर्ज हुए हैं.
गवाहों के होंगे कोर्ट में बयान: पीड़िता ने अपने बयानों में बताया कि वह सीआईडी सीबी के अधिकारियों से संपर्क में थी और जांच में वह सहयोग कर रही थी. सीआईडी सीबी ने वॉइस सैम्पल की पीड़िता से कभी डिमांड ही नहीं की और ना ही इस तरह का कभी कोई नोटिस पीड़िता को दिया. पीड़िता के वकील नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पुलिस या अन्य कोई भी जांच एजेंसी किसी भी गवाह या दस्तावेज पेश करने के लिए संबंधित को नोटिस देती है, लेकिन इस प्रकरण में सीआईडी सीबी ने ऐसा नहीं किया. इस प्रकरण में गवाहों के बयान होने हैं.
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पीड़िता ने सीआईडी सीबी की जांच पर उठाए सवाल: वकील नरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि पीड़िता की ओर से दर्ज मुकदमे और धारा 164 के बयान में पीड़िता ने उसके साथ दुष्कर्म और सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस होना बताया था. जबकि रामगंज थाना पुलिस ने प्रकरण की जांच में आरोपी को धारा 354 (अश्लील छेड़छाड़) के तहत दोषी माना. सीआईडी सीबी को जांच मिलने के बाद प्रकरण में गवाहों के बयानों को नहीं माना और पीड़िता के वॉइस सैम्पल नहीं देने को आधार बनाकर एफआर पेश की गई. राठौड़ ने कहा कि सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस मामले में सीआईडी को एफआर लगाने का अधिकार नहीं था. उनका आरोप है कि सीआईडी ने दबाव और प्रभाव में एफआर लगाई है क्योंकि उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता थी. सरकार ने प्रकरण को दबाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया.
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यह था प्रकरण:पीड़िता ने 23 अक्टूबर, 2019 को रामगंज थाने में अजमेर सरस डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी के खिलाफ धारा 376 में प्रकरण दर्ज करवाया था. पीड़िता का आरोप था कि वह अजमेर सरस डेयरी में संविदा पर कर्मचारी थी. उसके काम के बदले में उसे कम पैसे दिए जा रहे थे. इस संदर्भ में पीड़िता डेयरी मैनेजर और अन्य कर्मचारियों से भी मिली थी. उन सभी ने पीड़िता को अजमेर सरस डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी से मिलने के लिए कहा था. पीड़िता का आरोप था कि रामचंद्र चौधरी से उनके दफ्तर में जब वह मिलने गई, तब अश्लील हरकत करते हुए उसके साथ दुष्कर्म किया.
चौधरी ने पीड़िता के खिलाफ करवाया था ब्लैक मेल करने का मुकदमा: रामचंद्र चौधरी ने रामगंज थाने में पीड़िता के खिलाफ उन्हें ब्लैक मेल करने का प्रकरण दर्ज करवाया था. लेकिन इस प्रकरण को सही नहीं माना और मामला रफा-दफा कर दिया था. यह प्रकरण कोर्ट तक नही पंहुचा था. रामचंद्र चौधरी लगातार 30 वर्षों से अजमेर सरस डेयरी में अध्यक्ष हैं. चौधरी मसूदा विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुके हैं, लेकिन वे हार गए थे. इस बार रामचंद्र चौधरी ने कांग्रेस के टिकट के लिए अजमेर लोकसभा सीट से दावेदारी की है.