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राज्य महिला आयोग की अजमेर में जनसुनवाई में पंहुचे कम लोग लोग, वजह आई सामने - A FEW PEOPLE CAME IN PUBLIC HEARING

अजमेर में राज्य महिला आयोग ने मंगलवार को जनसुनवाई आयोजित की. हालांकि इसमें बेहद कम लोग पहुंचे.

Public hearing of Women's Commission
महिला आयोग की जनसुनवाई (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 28, 2025, 7:50 PM IST

अजमेर: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने मंगलवार को अजमेर पहुंचकर जनसुनवाई की. सर्किट हाउस में हुई इस जनसुनवाई में चंद लोग ही आए. चिश्ती ने तंज कसते हुए कहा कि जनसुनवाई में कम लोगों की मौजूदगी से ऐसा लगा कि अजमेर में महिला अत्याचार के मामले कम हो गए हैं. संभवतः यहां महिला पुलिस अधीक्षक और वे महिला अत्याचार के मामलों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं. हालांकि बाद में उन्हें पता चला कि जनसुनवाई की सूचना एक दिन पहले ही जारी की गई थी. यही वजह रही कि लोग कम आए.

महिला आयोग अध्यक्ष ने कसा तंज (ETV Bharat Ajmer)

जनसुनवाई में आए चंद लोग: चिश्ती ने कहा कि अजमेर से जुड़े हुए आयोग के पास काफी संख्या में मामले आते हैं. ऐसा लगता था कि काफी संख्या में पीड़ित आएंगे. लेकिन काफी कम लोग जनसुनवाई में पहुंचे हैं. चिश्ती ने कहा कि अन्य जिलों और संभागों में जनसुनवाई में काफी संख्या में लोग आते हैं. ऐसा लग रहा है कि अजमेर में महिला अत्याचार के मामले काफी कम हो गए हैं. इसका कारण अजमेर में महिला पुलिस अधीक्षक भी है. संभवतः उनके प्रयास से महिला अत्याचार के मामले अजमेर में कम हो गए हैं.

पढ़ें: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज बोली- महिला उत्पीड़न मामलों में अलवर व भरतपुर अव्वल - STATE WOMEN COMMISSION

कानून का दुरुपयोग बढ़ा: बातचीत में उन्होंने कहा कि पुरुष हो या महिला अत्याचार से जुड़े कानून का दुरुपयोग होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह अपने पर हो रहे अत्याचार को सहन करें. उन्होंने बताया कि महिला आयोग के पास जैसे ही प्रकरण आता है, उसे प्रकरण से संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक या आईजी से भी बात की जाती है. चिश्ती ने कहा कि यह चिंतनीय है कि सामाजिक और पारिवारिक दबाव के चलते पुलिस और महिला आयोग तक कई मामले नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे मामलों को सामने आना चाहिए जो घर की चार दिवारी में घठित होते हैं और महिलाएं कह नहीं पाती हैं. ऐसे प्रकरणों के सामने आने पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए.

पढ़ें: ओडवाड़ा गांव अतिक्रमण प्रकरण : महिलाओं से बदसलूकी पर राज्य महिला आयोग सख्त, जांच के लिए बनाई कमेटी - Encroachment Case In Odwada

आयोग को मिल रहे 4 से 5 प्रकरण: चिश्ती ने बताया कि 3 वर्ष के उनके कार्यकाल में 11609 मामले महिला अत्याचार से संबंधित आए हैं. इसके अलावा करीब 14 हजार पुराने मामले भी थे. इन सभी मामलों में से 25948 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है. 2564 प्रकरण प्रक्रियाधीन हैं. चिश्ती ने बताया कि तीन वर्ष में साढ़े 11 हजार प्रकरण आयोग को तीन वर्ष में मिले. वर्ष में 3 से 4 हजार औसतन प्रकरण आयोग के पास आए है. यानी 4 से 5 प्रकरण रोज आयोग को मिल रहे हैं. इन प्रकरणों में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा, रेप, उत्पीड़न, लिविंग रिलेशनशिप, सोशल मीडिया के दुरुपयोग से पनप रहे अपराध के मामले भी महिला आयोग में आए हैं. इसके अलावा मर्डर के भी मामले शामिल हैं.

पढ़ें: महिला पहलवानों के समर्थन में राज्य महिला आयोग, अध्यक्ष बोलीं- आरोपी को मिल रहा संरक्षण, सुप्रीम कोर्ट को लिखेंगे पत्र

प्रकरण की सुनवाई में पता चलता है कि दुनिया ऐसी भी है: उन्होंने कहा कि महिला आयोग में आने के बाद मालूम हुआ कि मध्यवर्गीय जिंदगी जो हम और आप सब जी रहे हैं. उससे भी अलग दुनिया है. समाज में रहकर हम यह सोचते हैं कि इस तरह के अपराध अब नहीं है, वह तमाम तरह के अपराध समाज में हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब प्रकरण की सुनवाई करते हैं तब पता चलता है कि दुनिया ऐसी भी है. इस दौरान महिला आयोग की सदस्य सुमन यादव, सदस्य सचिव वीरेंद्र सिंह यादव, डिप्टी सेक्रेटरी समेत अधिकारी मौजूद रहे.

विशाखा गाइडलाइन की नहीं होती पालना: चिश्ती ने बताया कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में महिला सेल बनाये जाने को लेकर आयोग की ओर से लगातार उन्हें लिखा जाता है. लेकिन आज भी कई संस्थान हैं, जिनमें महिला सेल नहीं है. जिला स्तर पर विशाखा गाइडलाइन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए बैठक होनी चाहिए और लगातार इसकी मॉनीटरिंग भी होनी चाहिए.

अजमेर: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज चिश्ती ने मंगलवार को अजमेर पहुंचकर जनसुनवाई की. सर्किट हाउस में हुई इस जनसुनवाई में चंद लोग ही आए. चिश्ती ने तंज कसते हुए कहा कि जनसुनवाई में कम लोगों की मौजूदगी से ऐसा लगा कि अजमेर में महिला अत्याचार के मामले कम हो गए हैं. संभवतः यहां महिला पुलिस अधीक्षक और वे महिला अत्याचार के मामलों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं. हालांकि बाद में उन्हें पता चला कि जनसुनवाई की सूचना एक दिन पहले ही जारी की गई थी. यही वजह रही कि लोग कम आए.

महिला आयोग अध्यक्ष ने कसा तंज (ETV Bharat Ajmer)

जनसुनवाई में आए चंद लोग: चिश्ती ने कहा कि अजमेर से जुड़े हुए आयोग के पास काफी संख्या में मामले आते हैं. ऐसा लगता था कि काफी संख्या में पीड़ित आएंगे. लेकिन काफी कम लोग जनसुनवाई में पहुंचे हैं. चिश्ती ने कहा कि अन्य जिलों और संभागों में जनसुनवाई में काफी संख्या में लोग आते हैं. ऐसा लग रहा है कि अजमेर में महिला अत्याचार के मामले काफी कम हो गए हैं. इसका कारण अजमेर में महिला पुलिस अधीक्षक भी है. संभवतः उनके प्रयास से महिला अत्याचार के मामले अजमेर में कम हो गए हैं.

पढ़ें: राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेहाना रियाज बोली- महिला उत्पीड़न मामलों में अलवर व भरतपुर अव्वल - STATE WOMEN COMMISSION

कानून का दुरुपयोग बढ़ा: बातचीत में उन्होंने कहा कि पुरुष हो या महिला अत्याचार से जुड़े कानून का दुरुपयोग होता है, लेकिन ऐसा नहीं है कि वह अपने पर हो रहे अत्याचार को सहन करें. उन्होंने बताया कि महिला आयोग के पास जैसे ही प्रकरण आता है, उसे प्रकरण से संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक या आईजी से भी बात की जाती है. चिश्ती ने कहा कि यह चिंतनीय है कि सामाजिक और पारिवारिक दबाव के चलते पुलिस और महिला आयोग तक कई मामले नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे मामलों को सामने आना चाहिए जो घर की चार दिवारी में घठित होते हैं और महिलाएं कह नहीं पाती हैं. ऐसे प्रकरणों के सामने आने पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए.

पढ़ें: ओडवाड़ा गांव अतिक्रमण प्रकरण : महिलाओं से बदसलूकी पर राज्य महिला आयोग सख्त, जांच के लिए बनाई कमेटी - Encroachment Case In Odwada

आयोग को मिल रहे 4 से 5 प्रकरण: चिश्ती ने बताया कि 3 वर्ष के उनके कार्यकाल में 11609 मामले महिला अत्याचार से संबंधित आए हैं. इसके अलावा करीब 14 हजार पुराने मामले भी थे. इन सभी मामलों में से 25948 प्रकरणों का निस्तारण किया गया है. 2564 प्रकरण प्रक्रियाधीन हैं. चिश्ती ने बताया कि तीन वर्ष में साढ़े 11 हजार प्रकरण आयोग को तीन वर्ष में मिले. वर्ष में 3 से 4 हजार औसतन प्रकरण आयोग के पास आए है. यानी 4 से 5 प्रकरण रोज आयोग को मिल रहे हैं. इन प्रकरणों में सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा, रेप, उत्पीड़न, लिविंग रिलेशनशिप, सोशल मीडिया के दुरुपयोग से पनप रहे अपराध के मामले भी महिला आयोग में आए हैं. इसके अलावा मर्डर के भी मामले शामिल हैं.

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प्रकरण की सुनवाई में पता चलता है कि दुनिया ऐसी भी है: उन्होंने कहा कि महिला आयोग में आने के बाद मालूम हुआ कि मध्यवर्गीय जिंदगी जो हम और आप सब जी रहे हैं. उससे भी अलग दुनिया है. समाज में रहकर हम यह सोचते हैं कि इस तरह के अपराध अब नहीं है, वह तमाम तरह के अपराध समाज में हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब प्रकरण की सुनवाई करते हैं तब पता चलता है कि दुनिया ऐसी भी है. इस दौरान महिला आयोग की सदस्य सुमन यादव, सदस्य सचिव वीरेंद्र सिंह यादव, डिप्टी सेक्रेटरी समेत अधिकारी मौजूद रहे.

विशाखा गाइडलाइन की नहीं होती पालना: चिश्ती ने बताया कि सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों में महिला सेल बनाये जाने को लेकर आयोग की ओर से लगातार उन्हें लिखा जाता है. लेकिन आज भी कई संस्थान हैं, जिनमें महिला सेल नहीं है. जिला स्तर पर विशाखा गाइडलाइन को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए बैठक होनी चाहिए और लगातार इसकी मॉनीटरिंग भी होनी चाहिए.

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