नई दिल्ली:दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. रविवार को अधिकतर इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड और डार्क रेड जोन में दर्ज किया गया. दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषित इलाका आनंद विहार रहा, जहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 400 के स्तर को पार कर डार्क रेड जोन में पहुंच गया. दिल्ली एनसीआर में कोई भी इलाका ऐसा नहीं, जहां की हवा की गुणवत्ता अच्छी और सुरक्षित हो और सभी इलाकों में प्रदूषण का ग्राफ तेजी से ऊपर बढ़ रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले दिनों में एक्यूआई और खराब स्थिति में पहुंच सकता है.
दरअसल नवंबर की शुरुआत होने से पहले ही सुबह के वक्त दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में हल्की धुंध की चादर दिखाई देनी शुरू हो गई है. बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं भी होने लगी हैं. वहीं सुबह के वक्त पार्कों में लोग भी कम दिखाई दे रहे हैं. उधर गाजियाबाद और नोएडा की हवा के हालात भी ठीक नहीं है. देश के सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में शुमार गाजियाबाद के सभी इलाकों का एक्यूआई भी 300 पार कर चुका है. वहीं, नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स 250 के ऊपर दर्ज किया जा रहा है.
बिगड़ सकती है स्थिति: हालांकि, फिलहाल दिल्ली एनसीआर में न किसी प्रकार की आतिशबाजी हो रही है और न ही बड़े स्तर पर पराली के जलने की घटनाएं भी सामने आ रही हैं. एनसीआर में नवंबर में दिवाली के दौरान आतिशबाजी और पराली जलाने की घटनाएं सामने आने के बाद प्रदूषण में रिकॉर्ड तोड़ इजाफा होने की संभावना है. अभी दिल्ली में ग्रेड रिस्पांस एक्शन प्लान के पहले चरण की पाबंदियां लागू है. सरकार और प्रशासन द्वारा कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (सीक्यूएएम) की सभी गाइडलाइंस को सख्ती से लागू कराने का दावा किया जा रहा है, लेकिन प्रदूषण के स्तर में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अगर हवा की रफ्तार और सुस्त होती है तो प्रदूषण का ग्राफ डार्क रेड जोन में पहुंच सकता है.
फेड़फों को पहुंचता है नुकसान:जानकारी के लिए बता दें कि एयर क्वॉलिटी इंडेक्स जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. वहीं 51-100 के बीच 'संतोषजनक', 101-200 के बीच 'मध्यम', 201-300 के बीच 'खराब', 301-400 को 'बहुत खराब' और 400-500 को गंभीर श्रेणी में रखा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पर्टीकुलेट मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डाइऑक्साइड सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.