भोपाल।थ्रीडी बायो प्रिंटर तकनीकी वैसे तो बड़े शहरों में इस्तेमाल की जा रही है. लेकिन एमपी में पहली बार एम्स भोपाल में इसकी शुरुआत की जा रही है. यहां 60 लाख रुपये से थ्रीडी बायो प्रिंटर मशीन की खरीदी की गई है. यह आपके हाथ की तरह प्रतिकृति बना देती है. जिसमें ब्लड, शेल्स व टिशू भी होते हैं. असली हाथ की तरह इसमें नसें व अन्य अंग भी बनाए जाते हैं.
बीमारियों का पता लगाने में होगा इस्तेमाल
थ्रीडी बायो प्रिंटर की मदद से कृतिम अंग बनाया जाएगा. इससे पता कर सकेंगे कि उस अंग में कौन सी बीमारी है. जो बीमारियां होंगी, उनकी सही जांच हो सकेगी. यह पता किया जा सकेगा कि किस प्रकार कि बीमारियां शेल में होती हैं, इसमें किस प्रकार बदलाव आते हैं. यह समझने में सहायता मिलेगी.
दवाइयों का भी हो सकेगा प्रयोग
भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह बताते हैं "हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और उसके शेल्स अलग-अलग होते हैं. इसीलिए समान दवाइयों का सब पर एक ही जैसा असर हो, यह संभव नहीं है. इसीलिए एम्स में पहले कृत्रिम अंगों पर ड्रग का ट्रायल किया जाएगा, इसके बाद ये दवाइयां मनुष्यों को दी जाएंगी. इससे हमें नई दवाइयां विकसित करने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही हम पुरानी दवाओं के बारे में पता कर पाएंगे, यह किस मरीज को लाभ पहुंचाएगी या नहीं."