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क्या किसी भी इंसान के हूबहू अंग बनाना संभव है, एम्स भोपाल में होगा चमत्कार - AIIMS Bhopal 3D technology - AIIMS BHOPAL 3D TECHNOLOGY

हमारे शरीर के अंगों को हूबहू फिर से बनाना किसी सपने से कम नहीं है. लेकिन अब यह संभव हो सकेगा चिकित्सा के क्षेत्र में आधुनिक थ्रीडी तकनीकी के कारण. थ्रीडी बायो प्रिंटर की मदद चिकित्सक किसी भी अंग की नकल कर ठीक वैसे ही बना सकते हैं. हालांकि अभी ये प्रारंभिक चरण में है, इसलिए इसे प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता.

AIIMS Bhopal 3D technology
एम्स भोपाल में होगा चमत्कार (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 24, 2024, 6:39 PM IST

किसी भी इंसान के हूबहू अंग बनाना संभव (ETV BHARAT)

भोपाल।थ्रीडी बायो प्रिंटर तकनीकी वैसे तो बड़े शहरों में इस्तेमाल की जा रही है. लेकिन एमपी में पहली बार एम्स भोपाल में इसकी शुरुआत की जा रही है. यहां 60 लाख रुपये से थ्रीडी बायो प्रिंटर मशीन की खरीदी की गई है. यह आपके हाथ की तरह प्रतिकृति बना देती है. जिसमें ब्लड, शेल्स व टिशू भी होते हैं. असली हाथ की तरह इसमें नसें व अन्य अंग भी बनाए जाते हैं.

बीमारियों का पता लगाने में होगा इस्तेमाल

थ्रीडी बायो प्रिंटर की मदद से कृतिम अंग बनाया जाएगा. इससे पता कर सकेंगे कि उस अंग में कौन सी बीमारी है. जो बीमारियां होंगी, उनकी सही जांच हो सकेगी. यह पता किया जा सकेगा कि किस प्रकार कि बीमारियां शेल में होती हैं, इसमें किस प्रकार बदलाव आते हैं. यह समझने में सहायता मिलेगी.

दवाइयों का भी हो सकेगा प्रयोग

भोपाल एम्स के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह बताते हैं "हर व्यक्ति की शारीरिक बनावट और उसके शेल्स अलग-अलग होते हैं. इसीलिए समान दवाइयों का सब पर एक ही जैसा असर हो, यह संभव नहीं है. इसीलिए एम्स में पहले कृत्रिम अंगों पर ड्रग का ट्रायल किया जाएगा, इसके बाद ये दवाइयां मनुष्यों को दी जाएंगी. इससे हमें नई दवाइयां विकसित करने का मौका तो मिलेगा ही, साथ ही हम पुरानी दवाओं के बारे में पता कर पाएंगे, यह किस मरीज को लाभ पहुंचाएगी या नहीं."

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जानवरों पर दवा परीक्षण की निर्भरता कम होगी

दवाइयों, उपचारों और प्रक्रियाओं को आमतौर पर बाज़ार में लाने से पहले जानवरों पर सुरक्षा और प्रभावशीलता के लिए परीक्षण किया जाता है, क्योंकि हमारे डीएनए में समानताएं पाई जाती हैं. लेकिन अब थ्रीडी बायो प्रिंटर की मदद से बनाए गए अंग में ही दवाओं का ट्रायल हो सकेगा. इससे सटीक परिणाम सामने आएंगे.

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