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AIIMS भोपाल ने दी दिल्ली को टक्कर, ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज शुरू - AIIMS BHOPAL BIG ACHIEVEMENT

एम्स भोपाल ने ब्लड कैंसर से पीड़ित एक बच्ची का बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया. एम्स दिल्ली के बाद एम्स भोपाल ने ये कमाल कर दिखाया.

AIIMS BHOPAL BIG ACHIEVEMENT
एम्स भोपाल में ब्लड कैंसर से पीड़ित बच्चों का इलाज शुरू (Etv Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 23 hours ago

भोपाल: एम्स भोपाल (AIIMS BHOPAL) ने बच्चों के ब्लड कैंसर के मामले में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यहां 7 साल की बच्ची का सफल बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया गया है. खास बात ये है कि इस बच्ची को इसके लिए कीमोथैरेपी का दर्द नहीं झेलना पड़ा. एम्स भोपाल की इस उपलब्धि से मध्यप्रदेश में ब्लड कैंसर जैसी बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के जीवन में उम्मीद की नई किरण दिखने लगी है. इस बड़ी उपलब्धि को लेकर एम्स भोपाल के डायरेक्टर डॉ.अजय सिंह ने पूरे स्टाफ को बधाई दी है.

डोनर के रूप में रोगी के भाई को चुना गया

एम्स प्रबंधन ने बताया कि 7 वर्षीय बच्ची का सफल हापलो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया, जो रिलेप्स्ड एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (बाल्य रक्त कैंसर) से पीड़ित थी. यह जटिल प्रक्रिया एक महीने पहले चिकित्सा अन्कोलाजी और हीमेटोलाजी विभाग के डॉ. गौरव ढींगरा और डॉ. सचिन बंसल के नेतृत्व में की गई. बच्ची का इलाज एम्स भोपाल के बाल्य अन्कोलाजी विभाग में डॉ.नरेंद्र चौधरी की देखरेख में हो रहा था. ट्रांसप्लांट के लिए मरीज के भाई को डोनर के रूप में चुना गया, जो आधे एचएलए (ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन) में मेल खाते थे.

एम्स दिल्ली के बाद भोपाल एम्स ने किया कमाल

डॉक्टरों ने बताया कि मरीज को माइलो अब्लेटिव कंडीशनिंग रेजिमेन के तहत संपूर्ण शरीर की रेडियोथेरेपी (टोटल बाडी इरैडिएशन) दी गई, जिसे रेडिएशन अन्कोलाजी विभाग के डॉ. सैकत दास, डॉ. विपिन खराडे और भौतिक विज्ञानी (आरएसओ) अवनीश मिश्रा द्वारा सफलतापूर्वक संचालित किया गया. यह प्रक्रिया एम्स भोपाल के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि बच्चों में रक्त कैंसर के लिए ऐसी उन्नत बोन मैरो ट्रांसप्लांट सुविधा प्रदान करने वाला एम्स दिल्ली के बाद यह दूसरा एम्स बन गया है.

एम्स भोपाल में ब्लड कैंसर के इलाज को नई दिशा मिली

एम्स भोपाल डायरेक्टर डॉ. अजय सिंहने कहा "यह सफलता एम्स भोपाल के समर्पण और उन्नत चिकित्सा सेवाओं का प्रमाण है. हापलो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट जैसी जटिल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करना हमारे संस्थान की टीम की विशेषज्ञता और समर्पण को दर्शाता है. इस उपलब्धि से एम्स भोपाल ने बच्चों के रक्त कैंसर उपचार में एक नई दिशा दी है." डॉ. सिंह ने मरीज के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की और नियमित फालो-अप का सुझाव दिया है.

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