आगरा:जिले में जमीनों के फर्जी तरीके से बैनामे और रिकॉर्ड गायब करने का पर्दाफॉश होने का मामला सीएम कार्यालय तक पहुंच गया है. आगरा की सदर तहसील में करोड़ों के फर्जी बैनामा के काले कारनामे का खुलासा होने से आगरा डीएम ने दो एडीएम के नेतृत्व में चार सदस्यीय कमेटी बनाई है.
कमेटी ने मंगलवार देर रात तक सदर तहसील के रिकार्ड रूम में दस्तावेज खंगाले. जांच में मिले तथ्य और सबूतों से जिला प्रशासन ने एआइजी निबंधन और उपनिबंधक प्रथम के निलंबन की संस्तुति शासन को भेजी है. इसके साथ ही फर्जीवाड़े में मंगलवार देर रात शाहगंज थाना में एक तहरीर दी गई.
शाहगंज थाना प्रभारी निरीक्षक कुशलपाल सिंह ने बताया कि सदर तहसील स्थित निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड प्रभारी प्रताप नरायन ने तहरीर दी थी. जिसमें राजकुमार, देवदत्त प्रबल शर्मा, प्रताप, श्याम लाल शर्मा, सत्यप्रकाश समेत 11 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचित दस्तावेज तैयार करने सहित अन्य आरोप लगाए गए हैं. आरोपी देवदत्त शर्मा तहसील का ही कर्मचारी है.
बता दें कि जिले में फर्जी आधार कार्ड और कूट रचित दस्तावेजों से फर्जी बैनामा करने की शिकायत जिला प्रशासन को मिलीं थी. शिकायतों को लेकर डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों से जबाव मांगा. इसके साथ ही डीएम के आदेश पर दो एडीएम व एसडीएम की जांच कमेटी ने मंगलवार दोपहर रजिस्ट्र्री कार्यालय में जांच के लिए पहुंची. जांच कमेटी ने मंगलवार रात करीब 10 बजे तक रिकॉर्ड रूम में जिल्द रजिस्टर खंगाले. प्रथम दृष्ट्या करीब 10 प्रकरण संदिग्ध मिले हैं.
पांच साल से ये खेल चल रहा था:पांच साल से सदर तहसील के निबंधन कार्यालय के रिकॉर्ड रूम में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा था. इसमें जिम्मेदार अधिकारी एआईजी, सब रजिस्ट्रार से लेकर जिला निबंधक तक आंखें मूंदे रहे. इस मामले में रिकॉर्ड रूम के लिपिक से लेकर प्राइवेट कर्मचारी तक बिक गए और बैनामे की मूल प्रतियां रिकॉर्ड से गायब हो गईं. जब शिकायत हुई तो डीएम की जांच कमेटी ने जांच शुरू की. जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद खलबली मच गई है.
एआईजी से लेकर सब रजिस्ट्रार तक लापरवाह:जिला प्रशासन की जांच कमेटी की छानबीन में रजिस्ट्री दफ्तर के रिकॉर्ड रूम में फर्जीवाडे का बड़ा खेल हुआ है. कार्यालय में भूमाफिया काम कराते रहे. जमीनों पर कब्जे के लिए दस्तावेजों में हेराफेरी होती रही. जिम्मेदार एआईजी से लेकर सब रजिस्ट्रार तक लापरवाह बन रहे. किसी भी अधिकारी ने रिकॉर्ड रूम के सत्यापन की जहमत तक नहीं उठाई. जिसकी वजह से करोडों रुपये के फर्जीवाड़े सामने आए हैं.
जिल्द से फटे मिले पन्ने:आगरा डीएम अरविंद मल्लप्पा बंगारी ने बताया कि प्रथम दृष्ट्या 10 बैनामों में गड़बड़ी सामने आई है. इसमें जिल्द 2323/98 में मूल बैनामा की जगह एग्रीमेंट जिल्द में लगा है. पूर्व में जिला निबंधक के जिल्द बही डीआर रजिस्टर संख्या 50 में पेज नंबर 309, 310, 311, 312, 381, 382, 383, 387, 388, 389, 390, 391, 392, 393, 394 के मूल पन्नों से छेड़छाड़ की गई थी. जिल्द बही से करीब 15 पन्ने फाड़कर उनसे मिलते जुलते पन्ने चस्पा किए गए हैं. इनके अलावा वर्ष 2000 से 2005 तक बही नंबर तीन जिल्द में बैनामा 45/2004 में भगवान देवी का नाम दर्ज था. जबकि जिल्द में गोरेलाल की वसीयत चस्पा मिली थी.