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कब है अहोई अष्टमी? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि

अहोई अष्टमी व्रत में तारे देखकर व्रत खोलना शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त.

Ahoi Ashtami 2024
अहोई अष्टमी व्रत (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : 5 hours ago

करनाल:कार्तिक माह त्योहारों का माह कहलाता है. इस माह में करवा चौथ, धनतेरस, दीपावली, भाई दूज, छठ पूजा जैसे पर्व मनाए जाते हैं. इसी माह अहोई अष्टमी का पर्व भी मनाया जाता है. अहोई अष्टमी के दिन मां अपने बच्चों के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती है. यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद अष्टमी के दिन रखा जाता है. जैसे करवा चौथ पर चांद का दीदार करके व्रत का पारण किया जाता है. वैसे ही अहोई अष्टमी व्रत में तारों के दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है. आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत में पूजा विधि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व.

जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाता है, जिसकी शुरुआत 24 अक्टूबर को सुबह 1:18 से होगी, जबकि इसका समापन 25 अक्टूबर को 1:58 पर होगा. सनातन धर्म में हर एक व्रत और त्यौहार उदयातिथि के साथ मनाए जाते हैं, इसलिए अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर के दिन रखा जाएगा. अहोई अष्टमी पर व्रत रखने वाली माताएं तारों के दर्शन करने के बाद अपने व्रत का पारण करती है. व्रत के दिन शाम को को 6:6 मिनट के बाद व्रती तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर सकती है, लेकिन शुभ मुहूर्त 5:42 से शुरू होकर 6:59 तक रहेगा. इस दौरान सभी व्रती को गणेश भगवान और देवी मां की पूजा करनी चाहिए.

व्रत की विधि: अहोई अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. खाने में सेवई का प्रयोग कर सकती हैं. हालांकि हर राज्य में अलग-अलग तरह का खाना बनाया जाता है. फिर घर पर देवी देवताओं की पूजा करें. माता अहोई का ध्यान रखकर व्रत रखने का प्रण लें. सूर्य उदय होते समय भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. घर में माता अहोई के चित्र की उपासना करें.

क्या करें, क्या ना करें? यह व्रत निर्जला व्रत रखा जाता है. इसलिए सुबह खाने के बाद कुछ भी दोबारा ग्रहण न करें. शाम के समय माता अहोई की पूजा-अर्चना करें. किसी बुजुर्ग महिला या पंडिताइन से अहोई माता की कथा सुनें. शाम के समय अहोई माता को कुमकुम लगाकर फूल की माला अर्पित करें. मां के सामने घी का दीपक जलाकर मिठाई अर्पित करें. शाम के समय तारों के दर्शन करके उनको अर्घ्य दें. इसके बाद व्रत का पारण करें.

संतान के लिए किया जाता है अहोई अष्टमी व्रत: अहोई अष्टमी व्रत मां अपने बच्चों की लंबी आयु और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती है. कुछ माताएं संतान प्राप्ति के लिए भी अहोई माता का व्रत रखती है. उनसे प्रार्थना करती है कि उनको संतान सुख की प्राप्ति हो. अहोई माता के व्रत के दिन "ऊं पार्वतीप्रियनंदनाय नमः" इस मंत्र के जाप के साथ बच्चों की लंबी आयु की कामना करें.

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