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आगरा पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट करने वाला साइबर क्रिमिनल गैंग दबोचा, रेलवे अधिकारी से ठगे थे 15 लाख रुपये - DIGITAL ARREST CASE IN AGRA

उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट मामले में यह पहली गिरफ्तारी है. सीबीआई, कस्टम, ट्राई और पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को देते थे झांसा.

आगरा पुलिस की गिरफ्त में साइबर क्रिमिनल गैंग के सदस्य.
आगरा पुलिस की गिरफ्त में साइबर क्रिमिनल गैंग के सदस्य. (Photo Credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 11, 2024, 6:44 AM IST

आगरा :आगरा पुलिस कमिश्नरेट ने गुरुवार को डिजिटल अरेस्ट करके ठगी करने वाले एक गैंग का पर्दाफाश किया है. गैंग के सदस्य दिल्ली में बैठकर देशभर के लोगों को कॉल करके डिजिटल अरेस्ट या अन्य साइबर ​क्राइम के तरीकों से ठगी करते थे. गैंग सीबीआई, कस्टम, ट्राई, पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाकर डिजिटल अरेस्ट करके लाखों रुपये अपने बैंक खातों में मंगवाते थे. गैंग का सरगना कंप्यूटर इंजीनियर है. आरोपी अब तक चार करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुके हैं. आरोपियों ने आगरा के रेलवे अधिकारी को ट्राई का अधिकारी बनकर डि​जिटल अरेस्ट करके 15 लाख रुपये ठगे थे. यह उत्तर प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट मामले में पहली गिरफ्तारी है. गैंग के अन्य गुर्गों की जल्द अरेस्ट किए जाएंगे.


डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि आगरा के साइबर थाने में 14 अगस्त 2024 को डिजिटल अरेस्ट करके 15 लाख रुपये की ठगी एक मुकदमा दर्ज किया गया था. मुकदमा रेलवे के रिटायर्ड अधिकारी नईम मिर्जा ने दर्ज कराया था. जिसमें उन्होंने बताया था कि 13 अगस्त को उनके मोबाइल पर व्हाट्सएप कॉल आई थी. जिसे रिसीव किया तो कॉल करने वाले ने खुद को ट्राई का अधिकारी बताया. कहा कि मनी लांड्रिंग और ड्रग्स तस्करी का मुकदमा दर्ज हुआ है. जिसकी जांच की जा रही है. कॉल नहीं कट नहीं करें. इस मामले में उन्हें अरेस्ट किया जा सकता है. इसके बाद अरेस्ट से बचाने के लिए रुपयों की डिमांड की. आरोपियों ने पीडित नईम मिर्जा को डिजिटल अरेस्ट करके 15 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए. जब रुपये ट्रांसफर हो गए तो उन्हें ठगी का अहसास हुआ था. इस पर साइबर क्राइम पुलिस ने मुकदमा दर्ज करके विवेचना की.


सिम और खाते से चला सुराग :डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि साइबर क्राइम टीम ने छानबीन की. पुलिस ने कॉल करने वाले नंबर और जिस बैंक खाता में रकम ट्रांसफर हुई थी. उसकी पड़ताल की तो कई बहम सुराग मिले. जिसके बाद पुलिस ने गैंग की एक दूसरे से कड़ियां जोड़ीं. पुलिस ने अपराधियों तक पहुंचने के लिए पूरा नेटवर्क तैयार किया. इसके बाद पुलिस ने छापामार कार्रवाई करके गैंग के चार सदस्य पकडे़ हैं. गिरफ्तार अभियुक्त के नाम मोहम्मद रफीक निवासी कूचा ताराचंद, दरियागंज दिल्ली, सगे भाई मोहम्मद दानिश और मोहम्मद कादिर निवासी पारस विहार कॉलोनी, बड़ौत बागपत और मोहम्मद सुहैल निवासी बदरपुर, करीमगंज आसोम है. गैंग का सरगना मोहम्मद सुहैल अकरम अच्छे इंजीनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर चुके हैं. बाकी अभियुक्त भी अच्छे पढे़ लिखे हैं.

यूं करते थे साइबर ठगी :डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि अभियुक्तों ने पूछताछ में बताया कि व्हाट्सएप और टेलीग्राम के जरिए कॉल या मैसेज से लोगों से संपर्क करते हैं. इस दौरान खुद को ट्राई, सीबीआई और आईबी या पुलिस अधिकारी बताकर झांसे में लेते हैं. वीडियो कॉल करके पीड़ितों को गंभीर मामले में फंसने, गिरफ्तारी वारंट जारी होने का डर दिखाकर ठगी के जाल में फंसाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके मोटी रकम ठगते हैं. गैंंग का सरगना सुलैह अकरम ने करीब छह से साल अलग अलग तरीके से लोगों के साथ ठगी कर रहा है. उसने पहले अनपढ़ और गरीब लोगों से ठगी के लिए लोगों के बैंक खाते खुलवाए हैं. जिनमें ठगी की रकम आती है. साथ ही नौकरी के नाम पर भी ठगी की है.


छह बार जेल गया गैंग :डीसीपी सिटी सूरज राय ने बताया कि साइबर क्रिमिनल गैंग लगातर साइबर क्राइम के नए नए तरीके से लोगों के साथ ठगी कर रहा था. गैंग ने जिस दिन आगरा के रिटायर्ड रेलवे अधिकारी से 15 लाख रुपये की ठगी की थी. जिस दिन ही साइबर ठगों के बैंक खाता में करीब पौन तीन करोड़ रुपये की ठगी रकम आई थी. जिसे अलग अलग बैंक खाता में ट्रांसफर किया था. गैंग के सरगना सुहैल अकरम और उसके साथियों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं. दिल्ली पुलिस गैंग को 6 बार जेल भेजा है, मगर हर बार जेल से बाहर आने पर नए तरीके ठगी करते हैं.

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