नई दिल्ली: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के RAUs आईएएस स्टडी सर्किल कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने के बाद डूबने से हुई तीन अभ्यर्थियों की मौत के बाद नगर निगम ने बेसमेंट में चल रही 21 से ज्यादा कोचिंग सेंटरों की लाइब्रेरी को सील कर दिया. अभ्यर्थियों ने बताया कि करोल बाग, राजेंद्र नगर और पटेल नगर के एरिया में करीब 600 लाइब्रेरी बेसमेंट में चलती हैं और 100 से ज्यादा लाइब्रेरी बिना बेसमेंट के पहले, दूसरे या तीसरी मंजिल पर चलती है.
दरअसल, नगर निगम ने 28 और 29 जुलाई को इस मामले में कार्रवाई करते हुए 13 से ज्यादा कोचिंग सेंटरों की बेसमेंट में संचालित लाइब्रेरी को सील कर दिया था. इन लाइब्रेरी के सील होने के बाद यूपीएससी के अभ्यर्थियों की लाइब्रेरी के माध्यम से होने वाली तैयारी बंद हो गई. ऐसे में 20 सितंबर से होने वाली उनकी यूपीएससी मुख्य परीक्षा की तैयारी को लेकर वे चिंतित हैं. ऐसे में उनकी मजबूरी का फायदा उठाते हुए बेसमेंट से अलग चल रही लाइब्रेरी संचालकों ने अपनी लाइब्रेरी की फीस बढ़ा दी है.
अभी तक बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी की फीस महीने में 2000 से ढाई हजार रुपए तक थी. जबकि, बिना बेसमेंट के पहले, दूसरे और तीसरी मंजिल पर चलने वाली लाइब्रेरी की फीस 3000 से 3500 रुपए तक थी. अब बेसमेंट की लाइब्रेरी सील होने के बाद बिना बेसमेंट वाली लाइब्रेरी संचालकों अपनी लाइब्रेरी की महीने की फीस बढ़ाकर चार से 5000 रुपए तक कर दी है, जिससे यूपीएससी की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों पर आर्थिक बोझ बढ़ना तय है.
यूपीएससी की तैयारी कर रही साक्षी मिश्रा ने बताया कि वह करीब 4 साल से यहां रहकर तैयारी कर रही हैं. वह उत्तर प्रदेश के अयोध्या की रहने वाली हैं. एक तरफ यहां पर बेसमेंट में डूबने से तीन साथियों की मौत हो गई है. इसके विरोध में हम लोग यहां 4 दिन से धरना दे रहे हैं. अपनी तैयारी और पढ़ाई को छोड़कर यहां व्यवस्था सुधारने के लिए धरने पर बैठे हैं. वहीं, दूसरी ओर लाइब्रेरी संचालकों को इससे कोई मतलब नहीं है. वह लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर अपनी फीस बढ़ाकर पैसा कमाने में लगे हैं.
बता दें, एमसीडी द्वारा सील की गई बेसमेंट की लाइब्रेरी की सील जल्दी से खुलना संभव नहीं है. ऐसे में 20 सितंबर से होने वाली यूपीएससी की मुख्य परीक्षा के लिए मजबूरी में यहां अभ्यर्थी लाइब्रेरी की बढ़ी हुई फीस देकर के तैयारी करेंगे. छात्रों का कहना है कि सरकार और नगर निगम कोचिंग संचालकों, लाइब्रेरी संचालकों और पीजी संचालकों को उनकी मनमानी से रोकने के लिए कोई कानून लेकर आए, जिससे उनके द्वारा छात्र-छात्राओं से की जा रही लूट खसूट पर रोक लग सकें.