हजारीबागःजिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर घनघोर जंगल के बीच स्थित लोटे गांव की 15 छात्राएं आज पूरे समाज के लिए मिसाल बन गई हैं. सखी संगम ग्रुप की ये बचियां जो विभिन्न टोले से आती हैं वो बैठक कर महत्वपूर्ण फैसले लेती हैं. जो क्षेत्र कभी विकास से कोसों दूर था और जहां नक्सलियों की हुकूमत चलती थी आज वहां बदलाव की बयार आई है.
बच्चियों ने रुकवायी थी नाबालिग की शादी, डीसी ने किया सम्मानित
इस गांव में स्कूली बच्चियों ने मिलकर सखी संगम नाम का एक समूह बनाया है. इस समूह ने हाल के दिनों में एक नाबालिग बच्ची की शादी रुकवा दी. आलम यह है कि आज वह बच्ची 11वीं क्लास में पढ़ाई कर रही है. हजारीबाग की डीसी नैंसी सहाय ने इन बच्चियों को सम्मानित किया है. डीसी ने कहा कि ये बच्चियां समाज और देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं.
इस समूह की सदस्य शीला हेंब्रम बताती हैं कि गांव में पढ़ने के दौरान यह पता चला कि उनकी एक सहपाठी का जबरन विवाह कम उम्र में कराया जा रहा है. ऐसे में समूह की सभी बच्चियों ने आपस में बैठक की और यह तय किया कि सहपाठी को मदद की जाए. सबसे पहले सखी संगम समूह की बच्चियों ने पीड़िता के माता-पिता से बात की, लेकिन बात नहीं बनी. इसके बाद उन्होंने मुखिया को इसकी जानकारी दी, लेकिन मुखिया से भी सहयोग नहीं मिला. पुनः बच्चियों ने पीड़िता के माता-पिता से मिलकर बाल विवाह के दुष्परिणाम, पढ़ाई लिखाई में बाधा और उसके स्वास्थ्य में होने वाले समस्या के बारे में बताया, लेकिन इसका भी लाभ नहीं मिला. पीड़िता के माता-पिता ने कहा कि शादी के लिए कार्ड भी छप चुके हैं और शादी की तैयारी पूरी हो चुकी है. घर में मेहमान भी आ चुके हैं. इस कारण शादी नहीं रोक सकते हैं. अंत में सखी संगम समूह की बच्चियों ने इसकी जानकारी अपनी शिक्षिका को दी. मामले में चाइल्ड हेल्पलाइन की मदद ली गई. जिसका परिणाम यह है कि आज वह बच्ची स्कूल में पढ़ाई कर रही है.
ड्रॉप आउट बच्चियों को दोबारा जोड़ रही स्कूल से